उत्तर प्रदेश

Agra: जिम्मेदार फर्मों से जुर्माना वसूल करें: मेयर हेमलता दिवाकर

Admindelhi1
16 Nov 2024 5:30 AM GMT
Agra: जिम्मेदार फर्मों से जुर्माना वसूल करें: मेयर हेमलता दिवाकर
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महापौर ने कहा कि समीक्षा में जो भी दोषी पाया पाया जाता है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी

आगरा: यमुना प्रदूषण मामले में निगम पर 58.38 करोड़ रुपये के जुर्माने को लेकर मेयर हेमलता दिवाकर ने नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल को पत्र लिखकर मामले की व्यापक समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं. महापौर ने कहा कि समीक्षा में जो भी दोषी पाया पाया जाता है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ऐसी संस्थाओं को ब्लैकलिस्टेड किया जाए और उन्हीं से अर्थ दंड की वसूली की जाए.

यमुना प्रदूषण मामले में पर्यावरणविद् डा. संजय कुलश्रेष्ठ ने एनजीटी में याचिका दायर की थी. एनजीटी ने सुनवाई करते हुए नगर निगम पर 58.38 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. एनजीटी के फैसले के खिलाफ नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए नगर निगम की अपील को खारिज कर दिया और जुर्माना बरकार रखा है. इस मामले में मेयर ने नगर आयुक्त को पत्र लिखा है. महापौर हेमलता दिवाकर ने कहा कि नालों की सफाई, यमुना नदी में गिरने वाले नालों की टेपिंग, नगर की सीवरेज व्यवस्था को दुरुस्त किये जाने, एसटीपी का संचालन आदि के लिए जो फर्म और संस्थाएं काम कर रही हैं उन पर प्रभावी नियंत्रण करते हुए यमुना नदी को शुद्ध रखे जाने हेतु समय-समय पर लिखित एवं मौखिक निर्देश दिये गये. लेकिन, नगर निगम और जलकल विभाग द्वारा इसे गम्भीरता से न लिये जाने के कारण एनजीटी और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के कारण नगर निगम को भारी अर्थदंड चुकाना पड़ेगा. इस प्रकार के कृत्यों से नगर निगम की प्रदेश और पूरे भारतवर्ष में छवि धूमिल हुई है. शहरी सीवरेज व्यवस्था / नालों की सफाई से जुड़ी फर्मों की घोर उदासीनता और नगर निगम/जलकल के अधिकारियों की अकुशलता और उदासीनता सामने आयी है.

महापौर ने लिखा है कि वर्णित प्रकरण अत्यंत गंभीर है, इसको दृष्टिगत रखते हुए नगर निगम स्तर पर व्यापक समीक्षा की आवश्यकता है. समीक्षा के दौरान इस कार्य में जिन-जिन फर्मों की ओर से घोर लापरवाही हुई है, उन फर्मों को चिह्नित करते हुए उक्त अधिरोपित अर्थदंड की उनसे वसूली की जाये और उनको काली सूची में दर्ज किया जाये. साथ ही उक्त कार्यों से जुड़े ऐसे अधिकारीगण जिनके द्वारा इन कार्यों में व्यापक रुचि नहीं ली गयी और उनकी उदासीनता के कारण नगर निगम को जो वित्तीय क्षति हुई है, उन अधिकारियों को भी चिह्नित करते हुए उनके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई हेतु शासन को संस्तुति की जाये.

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