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गोरखपुर: केन्द्र सरकार की आईपीडीएस योजना के तहत शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में 356 करोड़ से बिजली वितरण सिस्टम में सुधार के हुए कार्यों का अब भौतिक सत्यापन होगा. इसके लिए शासन स्तर से दो सदस्यीय टीम ने यहां डेरा डाल दिया है. साल 2014-15 में हुए कार्यों की जांच शुरू होने से वितरण मण्डल व खण्डों के अभियंताओं में हड़कंप है.
इस योजना के तहत जनपद के पांच टाउन का चयन हुआ था. शहर व ग्रामीण क्षेत्र में 356 करोड़ से काम कराए गए. इन कामों में नए बिजली घर का निर्माण, नए फीडर, क्षमता वृद्वि के ट्रांसफार्मर लगाने से लेकर फीडर के बंटवारा और लाइन व भूमिगत लाइन तक के काम हुए. अब इन कामों का भौतिक सत्यापन शुरू हुआ है. अभियंताओं ने बताया कि अचानक से लंबे समय बाद कामों की जांच शुरू होने से साफ है कि शासन को इसमें वित्तीय गड़बड़ी की आशंका है.
दरअसल, 31 जुलाई को इसे लेकर प्रदेश के आठ मंडलों में कामों की जांच कराए जाने के लिए पत्राचार हुआ. इसमें गोरखपुर मंडल भी था. पत्र जारी होने के बाद अचानक शासन की टीम मंडल में निरीक्षण करने आ गई. सूत्रों ने बताया कि कुछ फाइलें अभी नहीं मिल रही है. चर्चा है कि इस योजना में कामों के आवंटन के समय स्वीकृत फर्मों के साथ विभागीय फाइल देखने वालों की भी जांच की जा सकती है. इससे हड़कंप मचा है.
आईपीडीएस योजना की कार्यदायी फर्मों ने किया खेल आईपीडीएस योजना के तहत शहर के गोलघर क्षेत्र में केबल लगाने के काम में बड़ा खेल हुआ. कार्यदायी फर्म ने मानकों की अनदेखी कर भूमिगत केबल लगा दिए. डीएम व नगर विधायक की जांच में मामला उजागर होने के बाद सीएम के निर्देश पर नगरीय वितरण खण्ड प्रथम के एक्सईएन, एसडीओ व जेई को निलम्बित किया गया. फर्म के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ.