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मेरठ: उत्तर प्रदेश मेें मदरसों के 'योगी मॉडल' पर बहस शुरू हो गई है। पहले मदरसों के सर्वे और अब मदरसों में डेÑस कोड से लेकर जुमे की जगह इतवार की छुट्टी पर अच्छी खासी बहस छिड़ चुकी है। उलेमा-ए-दीन की नजरों में मदरसों को टेक ओवर करने की यह सरकारी साजिश का हिस्सा है। इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद् के पूर्व चेयरमेन प्रो. जैनुस साजेदीन कहते हैं कि मदरसों के निजाम के साथ छेड़छाड़ काबिल-ए-कुबूल नहीं है।
दूसरे उलेमा-ए-दीन भी कहते हैं कि जुमे की छुट्टी मदरसों में रिवायती छुट्टी है और इसमें तब्दीली करना एक प्रकार से संघ का एजेंडा हमारे ऊपर थोपना है। उधर, शहर काजी कहते हैं कि जुमे में छुट्टी का एक मकसद यह भी होता है कि मदरसों में पढ़ाने वाले कई टीचर मस्जिदों में नमाज भी पढ़ाते हैं। इसीलिए मदरसों में जुमे की रिवायती छुट्टी होती है। वो कहते हैं कि इस पर मुखालफत तो होगी ही।
बताते चलें कि यूपी सरकार में मंत्री रह चुके मोहसिन रजा पहले ही इस बात की हिमायत कर चुके हैं कि मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को टोपी की जगह टाई लगानी चाहिए। इसके अलावा दो दिन पूर्व हुई मदरसा परिषद् की बैठक में जुमे के स्थान पर इतवार की छुट्टी का प्रस्ताव लाया गया तथा मदरसों में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम को भी बदलने की हिमायत हुई और कहा गया कि मदरसों में तलबाओं को एनसीआरटीसी का सिलेबस पढ़ाया जाए और भी कई मुद्दे हैं जिन पर उलेमा खफा हैं।
ज्यादातर उलेमा लाइमलाइट में आए बिना दबी जुबां में अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। इनका कहना है कि लगता है कि आने वाले कुछ दिनों में मदरसों का स्कूलीकरण कर दिया जाएगा। इन उलेमाओं के अनुसार सरकार संघ का एजेंडा मदरसों पर थोपना चाहती है जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। उलेमा यह भी कह रहे हैं कि सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि असम, उत्तराखंड एवं मध्य प्रदेश मेें भी मदरसों के वजूद के साथ 'सरकारी खिलवाड़' हो रहा है।
कई उलेमाओं का तो यहां तक तर्क है कि मदरसों का स्कूलीकरण अखिल भारतीय स्तर पर करने की सरकार की योजना है और इसे धीरे-धीरे अमलीजामा पहनाया जाना शुरू हो गया है। कुछ वरिष्ठ उलेमा इशारा करते हुए कहते हैं कि यूपी में मदरसों के साथ जो कुछ भी हो रहा है वो सरकार अपने स्तर से मदरसों का मेक ओवर कर रही है ताकि समय आने पर इनका आसानी से टेक ओवर किया जा सके।