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![नोटिस के बावजूद नहीं हो रहा बच्चों का प्रवेश नोटिस के बावजूद नहीं हो रहा बच्चों का प्रवेश](https://jantaserishta.com/h-upload/2023/04/26/2815196-download-5.webp)
वाराणसी न्यूज़: निजी विद्यालयों पर बेसिक शिक्षा विभाग का आदेश बेअसर दिख रहा है. इस सत्र में जिले के आठ बड़े स्कूलों को नोटिस दी गई है. इसके बावजूद यहां प्रवेश के लिए आरटीई की लॉटरी के तहत चुने गए बच्चों के अभिभावक दौड़ लगा रहे हैं. पिछले सत्रों में भी कई स्कूलों को नोटिस दी गई थी मगर बात इससे आगे नहीं बढ़ी.
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत दो चरणों की लॉटरी हो चुकी है. पहले चरण की लॉटरी में 6492 तो दूसरे चरण की लॉटरी में लगभग 1300 बच्चों की सूची जारी की गई. नियमानुसार नाम घोषित होने के दस दिनों के भीतर एडमिशन हो जाने चाहिए मगर कुछ निजी स्कूल ऐसे भी हैं जो अभिभावकों को अतिरिक्त फीस या प्रमाण पत्रों के नाम पर दौड़ रहे हैं. कुछ ने तो एडमिशन लेने से सीधे मना कर दिया है.
बेसिक शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूलों को 12 अप्रैल को नोटिस देकर चेतावनी जारी की. मगर 11 दिन बाद भी नतीजा शून्य है. पिछले वर्ष भी तत्कालीन बीएसए ने कई स्कूलों को लगातार चेतावनियां जारी की थीं मगर सत्र बीतते-बीतते न तो एडमिशन हुए, न ही स्कूलों को दी गई चेतावनियों पर आगे कार्रवाई बढ़ी. कार्रवाई की बात करें तो पिछले वर्ष एक मिशनरी स्कूल के खिलाफ मनमानी फीस लेने में जांच बैठाई गई थी. डीएम के हस्तक्षेप पर स्कूल की जांच के लिए कमेटी बनी थी. हालांकि स्कूल प्रबंधन ने बाद में फीस बढ़ाने का फैसला वापस ले लिया.
स्कूल करते हैं संबद्धता से इनकार आरटीई में एडमिशन प्रकरण पर जिले के कुछ बड़े स्कूल बेसिक शिक्षा विभाग से अपनी संबद्धता से ही इनकार करते हैं. मिशनरी स्कूल खुद को अल्पसंख्यक विभाग से जुड़ा बताते हैं जबकि बड़े कॉन्वेंट स्कूल खुद को सीबीएसई से मान्यता प्राप्त करार देते हैं. ऐसे में शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लेकर संशय की स्थिति रहती है.
हो सकता है एक लाख रुपये का जुर्माना: बीएसए डॉ. अरविंद कुमार पाठक ने बताया कि अधिनियम 2009 के तहत सभी स्कूलों को अपने यहां की सीटों के 25 पर अलाभित बच्चों को प्रवेश देना जरूरी है. अधिनियम संख्या 35 के अध्याय 4 के बिन्दु संख्या 12 से 19 तक की धारा और उपधाराओं में उल्लेख है कि स्कूल किसी भी बच्चे से न तो फीस ले सकते हैं न ही उसे निष्कासित कर सकते हैं. बालकों के शारीरिक मानसिक शोषण और बिना मान्यता स्कूल चलाने पर एक लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है.