उत्तर प्रदेश

अनुदानित स्कूल में फर्जी प्रमाणपत्र के जरिये नौकरी करने का आरोप

Admin4
28 Feb 2023 11:26 AM GMT
अनुदानित स्कूल में फर्जी प्रमाणपत्र के जरिये नौकरी करने का आरोप
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हरदोई। कभी सुना है कि किसी को 16 साल में ही सरकारी नौकरी मिली हो, लेकिन शिक्षा विभाग के रहमो-करम पर ऐसा होना मुमकिन है। अनुदानित स्कूलों में दस्तावेज़ों में फर्ज़ीवाड़ा कर अनुचर की नौकरी करने वाले वाले अभी भी बे-रोक-टोक नौकरी कर रहें हैं। इस बारे में बीईओ सुरसा छोटेलाल की गई शिकायत पर सच का ठप्पा भी लगा चुके हैं। लेकिन फिर भी ज़िम्मेदारों की कानों में जूं तक नहीं रेंगी।
मामला सुरसा ब्लाक के आशा सिंह पूर्व माध्यमिक विद्यालय सेमरा चौराहा और इसी ब्लाक के छत्रपाल सिंह जूनियर हाईस्कूल कन्हई पुरवा का है। इस मामले में अतुल कुमार सिंह ने अपनी शिकायत में कहा था कि नरेश पाल पुत्र छत्रपाल ने छत्रपाल सिंह जूनियर हाईस्कूल में अनुचर की नौकरी के लिए अपने जो दस्तावेज़ पेश किए थे,उनके मुताबिक नरेश पाल की जन्मतिथि 30 जून 1964 थी और नौकरी 1 जुलाई 1980 में हासिल हुई,मतलब साफ है कि शिक्षा विभाग के रहमो-करम पर नरेश पाल ने 16 वीं साल में ही नौकरी हासिल कर ली। इसी विद्यालय में संकटा प्रसाद पुत्र भगवानदीन ने भी इसी तरह अनुचर की नौकरी हथिया ली। संकटा प्रसाद की जन्मतिथि 4 मई 1967 है और 1 जनवरी 1984 में 16 साल 7 महीने 27 दिन में ही सरकारी नौकरी पा ली। इसके अलावा आशा सिंह पूर्व माध्यमिक विद्यालय सेमरा चौराहा में अनुचर की नौकरी करने वाले खलील अहमद पुत्र जुम्मन खां की जन्मतिथि 22 जून 1966 है और 1 जुलाई 1980 में 17 साल 8 दिन की उम्र से ही नौकरी कर रहा है। वहीं दयाराम पुत्र बदले की जन्मतिथि 30 जून 1967 थी और 17 साल,11 महीने व 25 दिन में 25 जून 1983 को नौकरी पा ली। इस तरह का फर्ज़ीवाड़ा कर सरकारी नौकरी हासिल करने के मामले में जांच कर रहे बीईओ सुरसा छोटेलाल ने अपनी जांच रिपोर्ट पत्रांक संख्या बीईओ/548-2022-23 दिनांक 16 नवंबर 2022 में कहा था कि की गई शिकायत सही है। अभिलेखों की जांच करने से इसका पता चला।
लेकिन सबसे खास बात यह है कि सरकारी नौकरी के लिए 18 साल का होना ज़रूरी होता है, फिर इस तरह का फर्ज़ीवाड़ा क्यो किया गया और तो और इस तरह का फर्ज़ीवाड़ा कर नौकरी करने वालों ने बड़े इत्मिनान से सारी नौकरी कर डाली,अब तो वे रिटायरमेंट के नज़दीक है। फिलहाल इस तरह का फर्ज़ीवाड़ा शिक्षा विभाग के ज़िम्मेदारों की सांठगांठ के बिना मुमकिन नहीं।
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