उत्तर प्रदेश

रिपोर्ट से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार नशे की गिरफ्त में हैं 40 फीसद युवा

Admindelhi1
23 March 2024 6:54 AM GMT
रिपोर्ट से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार नशे की गिरफ्त में हैं 40 फीसद युवा
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नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे

अलीगढ़: धूम्रपान से केवल एक इंसान की नहीं बल्कि पूरे परिवार की जिंदगी बिगड़ती है. मंडल में धूम्रपान करने में महिलाएं भी पुरुष से कम नहीं है. जिला अस्पताल के डाटा पर गौर करें तो 40 फीसद युवा नशे की गिरफ्त में है. नशा करने वाली महिलाएं की संख्या भी 10 फीसद है. इनमें सबसे ज्यादा तंबाकू का सेवन करने वालों की संख्या है.

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में तंबाकू निषेध कार्यक्रम चलाया जाता है. इस कार्यक्रम में स्टाफ न मिलने के कारण मानसिक रोक विभाग को इसके संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी गई है. जिला अस्पताल के मानसिक रोग विभाग की ओपीडी में हर माह करीब 1000 मरीजों का चेकअप होता है. इसमें करीब 500 से 600 मरीज ध्रूमपान से संबंधित आते हैं. आधे से अधिक मरीज नशे की गिरफ्त में होकर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं. इनमें करीब 10 फीसद महिलाएं और 40 फीसद युवा धूम्रपान के गिरफ्त में है. इसी प्रकार अगर मंडल के चारों जिलों में सबसे ज्यादा आठ फीसद महिलाएं हाथरस और सबसे कम पांच फीसद महिलाएं एटा में धूम्रपान करतीं है. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि तंबाकू सेवन में युवाओं की तादाद सबसे ज्यादा है. मंडल में महिलाएं भी तंबाकू, धूम्रपान और गुटखा-जर्दा का सेवन करने में पीछे नहीं हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार अलीगढ़ में साल से ऊपर की 5.1 फीसद महिलाएं व लड़कियां धूम्रपान करतीं है. इनमें सबसे ज्यादा तंबाकू का सेवन करतीं है. जबकि अलीगढ़ में 37 फीसद पुरुष धूम्रपान करते हैं. इनमें से 35 साल तक के युवाओं की संख्या सबसे अधिक है. इसके अलावा हाथरस में आठ फीसद महिलाएं व बालिकाएं और 43.3 फीसद पुरुष धूम्रपान कर रहे हैं. इसके अलावा एटा में पांच फीसद महिलाएं और 44.7 फीसद पुरुष और कासगंज में 6.9 फीसद महिलाएं और 44.7 फीसद पुरुष धूम्रपान कर रहे हैं. तंबाकू की गिरफ्त में आने से लोगों की मौत भी हो रही है. जिनमें पुरुषों की संख्या अधिक बताई जा रही है.

स्वास्थ्य विभाग ने तंबाकू को रोकने के लिए प्रदेश स्तर पर तेजी से कदम उठाए हैं. आदेशानुसार हर जिले में नोडल आफिसर तैनात है. इनका कार्य स्कूलों कालेजों के कारण धूम्रपान करने वाले बच्चों को जागरूक करना और स्कूलों के बाहर 100 मीटर की दूरी पर नशा की दुकानों को लगने से रोकना है. यही नहीं धूम्रपान करने वाले लोगों के चालान काटना भी इनका काम है. मगर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा यह सब कागजों में किया जा रहा है. जागरूकता के नाम पर कैंप लगाकर खानापूर्ति की जा रही है. इस बारे में नोडल अधिकारी बीके राजपूत से पूछा गया तो वह कुछ नहीं बता सके.

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