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उत्तर प्रदेश
हरदोई के शख्स ने जमीन के अंदर बना दी दो मंजिला इमारत, 11 कमरे
Tara Tandi
30 Aug 2023 9:12 AM GMT
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दुनियाभर में हुनरमंद लोगों की कमी नहीं है. जिनके हुनर को देखकर कोई भी हैरान रह जाए. ऐसा ही एक कारनाम उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक शख्स ने कर दिया है. जिसने जमीन के अंदर दो मंजिला इमारत बना दी. इस इमारत की खास बात ये है कि इसे जमीन में खोद कर बनाया गया है. यानी इसमें ईंट या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इस इमारत में 11 कमरों के अलावा एक मस्जिद भी बनाई गई है. मिट्टी को काटकर बनाई गई इस इमारत को पूरा करने में 12 साल का वक्त लगा है. इस शख्स ने फावडे और खुरपे की मदद से ही इस इमारत को बना दिया. इस इमारत को और बेहतर बनाने का काम जारी है.
हरदोई के शाहबाद कस्बे में बनाई गई इमारत
इस इमारत को हरदोई के शाहबाद कस्बे के खेड़ा बीबीजई मोहल्ला के रहने वाले इरफान उर्फ पप्पू बाबा ने बनाया है. उन्होंने अपने गांव के मिट्टी के एक ऊंचे टीले को खोदकर इसका निर्माण किया है. इस मंजिला महल जैसी इस इमारत में 11 कमरे एक मस्जिद और कई सीढ़ियां, गैलरी और एक बैठक बनाई गई है.
2011 से शुरु किया महल बनाना
इरफान का कहना है कि उन्होंने इसे 2011 में बनाना शुरू किया था, तब से अब तक वह शिद्दत से इसे बनाने के काम कर रहे हैं. इस गुफा के अंदर बने महल में जाने पर वहां पुरानी नक्काशी भी देखने को मिलेगी, जिसे उन्होंने खुद ही खुरपे की मदद से उकेरा है.
इमारत के दो गेट और 20 फीट गहराई में है मस्जिद
बता दें कि इरफान ने इस किले में दो गेट बनाए हैं. एक गेट से प्रवेश है और दूसरे गेट से निकास है. प्रवेश द्वार पर मिट्टी की सीढ़ियां बनाकर 20 फीट गहराई में एक मस्जिद का नक्शा तैयार किया गया. जहां इरफान नमाज अदा करते हैं. इसके अलावा इसी 20 फीट गहरी सुरंग में उन्होंने रहने के लिए कमरे भी बनाए हैं. 20 फीट गहराई में ही एक पिलर के सहारे तिरंगा बनाया गया है. मिट्टी के इस किले के निकास द्वार पर भी मिट्टी से ही सीढ़ियां बनाई गई हैं.
खुरपी और फावड़ा से तैयार की इमारत
इरफान का कहना है कि उन्होंने खुरपी और फावड़े ही इस इमारत को बना दिया. बता दें कि इस किले का एक वीडियो न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी शेयर किया है. वीडियो के वायरल होने के बाद लोग इरफान की कारीगरी देखने के लिए वहां पहुंचने लगे.
पिता के निधन के बाद टूट गए इरफान
बता दें कि इरफान अब इसी महल में रहते हैं. दिन हो या रात वो अपना पूरा वक्त यहीं बिताते हैं. लेकिन खाना खाने के लिए घर जाते हैं. इरफान का कहना है कि 2010 तक वह एक सामान्य इंसान की तरह अपनी जिंदगी जी रहे थे. मगर इनके पिता के निधन के बाद इन्होंने अपने क्षेत्र में चुनाव लड़ा. लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली. इसके बाद वह अज्ञातवास में चले गए. 2011 में उन्होंने फकीरी के जीवन अपना लिया और बस्ती छोड़ कर एक निर्जन स्थान जमीन में महल बनाने लगे. इरफान ने शादी नहीं की. उनके परिवार के बाकी सदस्य गांव के घर में रहते हैं.
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