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मेरठ न्यूज़: अगस्त का पहला सप्ताह प्रत्येक वर्ष विश्व स्तनपान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान कराने के लिए जागरुक करना है. जगह जगह काउंसिलिंग सेशन, कैंप, जानकारी व आयोजन कराए जा रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी मां बनने वाली महिलाएं स्तनपान कराने में आज भी बहुत पीछे हैं.
मेरठ में स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार वर्ष 2019-21 में 72.8 प्रतिशत बच्चे जन्म के एक घंटे तक भी स्तनपान नही कर सके. मेरठ में वर्ष 2015-16 में लगभग 14.3 प्रतिशत माताएं ही जन्म के एक के अंदर दूध पिला पाई. छह माह तक 15.2 प्रतिशत माताएं ही स्तनपान करवा पाई. वहीं वर्ष 2019-21 के अनुसार 27.2 प्रतिशत तक बच्चों को जन्म के एक घंटे में स्तनपान कराया गया और छह माह तक कुल 55.4 प्रतिशत ने ही स्तनपान कराया.
बच्चों को दूध पिलाने की प्रथाएं और बच्चों की पोषण स्थिति (2019-21) (2015-16)
3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान 27.2 14.3
6 महीने से कम उम्र के बच्चे जो केवल स्तनपान करते हैं 55.4 15.2
6-8 महीने की उम्र के बच्चों को ठोस या अर्ध- ठोस भोजन और माँ का दूध मिलना 40.1 44.9
6-23 महीने की उम्र के स्तनपान न कराने वाले बच्चों को पर्याप्त आहार मिल रहा है. 6.8 8.3
सिजेरियन डिलीवरी में स्तनपान में देरी होती है. कुछ माताएं 24 घंटे बाद होश में आती हैं. कुछ को तुरंत दूध नही बन पाता. तीसरे दिन कहीं जाकर वह फीड करा पाती हैं.
डॉ. सरिता त्यागी, स्त्रत्त्ी रोग विशेषज्ञ
नार्मल डिलीवरी में भी कई बार माताएं एक घंटे के अंदर स्तनपान नहीं करा पातीं. नवजात के नर्सरी में रहने के कारण मां का दूध नही मिलता है. डॉ. रचना चौधरी, विभागाध्यक्ष, स्त्रत्त्ी रोग विभाग, मेडिकल कालेज