उत्तर प्रदेश

केशव मौर्य समेत बीजेपी के 9 और सपा के 4 प्रत्याशी जाएंगे विधान परिषद

Admin4
9 Jun 2022 2:39 PM GMT
केशव मौर्य समेत बीजेपी के 9 और सपा के 4 प्रत्याशी जाएंगे विधान परिषद
x
केशव मौर्य समेत बीजेपी के 9 और सपा के 4 प्रत्याशी जाएंगे विधान परिषद

लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव के लिए नामांकन के साथ ही 13 सीटों पर निर्विरोध जीत तय हो गई है. यूपी की एमएलसी की 13 सीटों पर 13 प्रत्याशियों ने पर्चा भरा था. इनमें भाजपा के 9 और समाजवादी पार्टी के 4 प्रत्याशियों ने निर्विरोध नामांकन दाखिल किया है. इस पर मतदान 20 जून को होना था, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं है. सीएम योगी आदित्यनाथ खुद नामांकन कराने पहुंचे थे. जो प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं उनमें उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं. विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी भाजपा ने उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाए रखा था, ऐसे में उन्हें किसी एक सदन का सदस्य होना जरूरी था.


गौरतलब है कि यूपी एमएलसी चुनाव में विधायकों की संख्या के आधार पर भाजपा का पलड़ा भारी था. गुरुवार को एमएलसी चुनाव के लिए नामांकन दाखिल होने से निर्विरोध निर्वाचन की तस्वीर साफ हो गई. नामांकन के साथ ही 13 एमएलसी पद के उम्मीदवारों का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है. विधान परिषद पहुंचने वालों में भाजपा के 9 उम्मीदवार सदन में पहुंचेंगे. वहीं समाजवादी पार्टी के 4 सदस्य निर्विरोध सदन पहुंचेंगे. इसमें मुकेश शर्मा, बनवारी लाल दोहरे, जेपीएस राठौर, दानिश आजाद अंसारी, चौधरी भूपेंद्र सिंह, दयाशंकर मिश्र दयालु, केशव प्रसाद मौर्य, जसवंत सैनी का एमएलसी बनना तय हो गया है.

हर जाति वर्ग के प्रत्याशी को भेजा विधानपरिषद
भाजपा ने समाज के हर जाति वर्ग को अपनी सूची में जगह दी है, 4 ओबीसी, 1 ब्राहमण, 1 दलित, 1 मुस्लिम, 1 क्षत्रिय को विधान परिषद भेजा है. साथ ही विधान सभा चुनावों में भी हर वर्ग के लोगों को टिकट दिया था जिससे लोगों में भाजपा के प्रति विश्वास पैदा हो. वहीं समाजवादी पार्टी ने 2 ओबीसी और दो मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं जिसके बाद से सपा में अंदरखाने बवाल मचा हुआ है
बनवारी लाल को विधान परिषद भेजकर दिया संदेश
पार्टी ने कन्नौज से आने वाले बनवारी लाल दोहरे को भी उच्चसदन भेजा है. बनवारी लाल भाजपा के पुराने नेता रहे हैं और 1991,1993, 1996 में कन्नौज से विधायक रहे हैं. मगर इस बार पार्टी ने पूर्व आईपीएस असीम अरुण को इस सीट से लड़ाया और ये दांव सपा पर भारी पड़ गया. लेकिन पार्टी ने पुराने नेता बनवारी लाल को विधान परिषद भेजकर अपने कार्यकर्ताओं और दोहरे समाज दोनों को ये संदेश दे दिया कि पार्टी सबका साथ में विश्वास रखती है. कुछ ऐसा ही हाल केशव मौर्य के साथ भी रहा है.
महेश शर्मा के जरिए ब्राह्मण समाज को साधने की भी कोशिश
उत्तर प्रदेश के हर चुनाव में ब्राह्मण समाज खुद को उपेक्षित किए जाने की बातें उठाता रहा है. सपा ने भगवान परशुराम के बहाने चुनाव में इसे एक मुद्दा बनाने की कोशिश भी की मगर सफल नहीं हो पायी.आपको बता दें कि योगी सरकार में 7 ब्राह्मण मंत्री हैं. भाजपा ने लखनऊ महानगर अध्यक्ष महेश शर्मा के जरिए ब्राह्मण समाज को साधने की भी कोशिश की. हालांकि शर्मा भी विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे थे. पूरे लखनऊ में कैंट क्षेत्र से चुनाव लड़ने की चर्चा भी थी. मगर अनुशासित कार्यकर्ता की तरह उन्होंने संगठन में रहकर लगातार पार्टी के लिए काम किया और पार्टी उन्हें विधान परिषद भेज रही है.


Next Story