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जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बीच बुधवार को आठ रोगियों की मौत हो गई।
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बीच बुधवार को आठ रोगियों की मौत हो गई। इनमें सात रोगियों की मौत हैलट और संबद्ध अस्पतालों में हुई। एक घायल को परिजन हैलट से निजी अस्पताल ले जा रहे थे। उसने रास्ते में दम तोड़ दिया। वहीं, हैलट के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके मौर्या ने बताया कि हड़ताल की वजह से ये मौतें नहीं हुई हैं। ये रूटीन मौतेें हैं। रोगी अति गंभीर हालत में दूसरे अस्पतालों से रेफर होकर आए थे। उन्होंने बताया कि अभी सिर्फ जेआर-1 हड़ताल पर हैं, बाकी डॉक्टर काम कर रहे हैं। वैसे हैलट में रोगियों की संख्या लगातार घट रही है। अस्पताल के वार्ड खाली हो रहे हैं।
इमरजेंसी में भी रोगियों की एक बेड पर दो मरीजों की समस्या खत्म हो गई है। हैलट और संबद्ध अस्पतालों में रोगियों का ब्यौरा हैलट प्रबंधन ने जारी किया है। हैलट में इस वक्त इमरजेंसी और वार्डों में 187 रोगी भर्ती हैं। बुधवार को इमरजेंसी में 18 रोगी भर्ती किए गए।
इनमें पांच की मौत हो गई। दो रोगियों को परिजन बिना डिस्चार्ज कराए ले गए। जच्चा-बच्चा अस्पताल में 89 रोगी भर्ती हैं। चार रोगी नए भर्ती हुए। इसी तरह बालरोग अस्पताल में 88 रोगी भर्ती हैं। एक रोगी की इमरजेंसी में मौत हो गई। वह गंभीर हालत में भर्ती हुआ था।
इसके अलावा एक रोगी की मौत डॉ. मुरारीलाल चेस्ट हॉस्पिटल में हुई है। हैलट और संबद्ध अस्पतालों में इस वक्त सिर्फ 423 रोगी भर्ती हैं। बुधवार को 23 नए भर्ती हुए। वहीं, डेरापुर का आशुतोष ट्रक की चपेट ये घायल हो गया था। परिजन उसे पहले हैलट लेकर आए, इसके बाद प्राइवेट अस्पताल ले जाने लगे। रास्ते में घायल की मौत हो गई। उनका कहना है कि इलाज में देरी हो रही थी, इस वजह से उसे निजी अस्पताल ले जा रहे थे।
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