उत्तर प्रदेश

गाजियाबाद में 75 फीसदी दुष्कर्म पीड़िताएं को अभी तक 'रानी लक्ष्मीबाई योजना' से नहीं मिला लाभ

Deepa Sahu
13 Feb 2022 10:50 AM GMT
गाजियाबाद में 75 फीसदी दुष्कर्म पीड़िताएं को अभी तक रानी लक्ष्मीबाई योजना से नहीं मिला लाभ
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रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष योजना के अंतर्गत अब तक 75 फीसदी दुष्कर्म पीड़िताओं को आर्थिक मदद नहीं मिली है।

रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष योजना के अंतर्गत अब तक 75 फीसदी दुष्कर्म पीड़िताओं को आर्थिक मदद नहीं मिली है। आर्थिक मदद लेने के लिए पीड़िताएं संबंधित विभागों की चक्कर काट रही हैं, लेकिन विभागों की लापरवाही के कारण उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

गाजियाबाद जनपद में पिछले छह वर्ष में 65 दुष्कर्म पीड़िताओं ने योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया है, जिनमें से महज करीब 23 फीसदी यानी 15 महिलाओं को ही आर्थिक मदद मिली है। बाकी मामले पुलिस और स्वास्थ्य विभाग में लंबित हैं। इन मामलों का निस्तारण करने के लिए महिला एवं बाल कल्याण विभाग कई बार नोटिस भी जारी कर चुका है। बावजूद इसके 50 मामले अब तक लंबित पड़े हुए हैं।
प्रदेश सरकार ने हिंसा पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं को आर्थिक मदद देने के लिए लिए रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष योजना करीब छह साल पहले शुरू की थी। इसके अंतर्गत लाभ लेने के लिए गाजियाबाद जनपद में अब तक कुल 518 हिंसा पीड़िताओं ने आवेदन किए हैं। इनमें से अब तक सिर्फ 116 को ही योजना का लाभ मिल सका है। बाकी 402 मामले स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग और जिला स्तरीय समिति के पास लंबित हैं। योजना के अंतर्गत महिलाओं के इलाज और पुनर्वास के लिए तीन से 10 लाख रुपये तक की मदद दी जाती है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते अब तक प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।
इन हिंसा में भी दी जाती है आर्थिक मदद
रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष योजना के अंतर्गत एसिड अटैक, घरेलू हिंसा, दहेज हत्या समेत हिंसाओं में भी आर्थिक मदद देने का प्रावधान है, लेकिन समय से मदद नहीं मिलने से महिलाएं परेशान हैं। जिला महिला कल्याण अधिकारी विकास चंद्रा का कहना है कि सभी प्रकरणों की प्रक्रिया पूरी करते हुए पीड़िताओं की मेडिकल रिपोर्ट पोर्टल पर चढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद सभी मामले जिला संचालन समिति के सामने प्रस्तुत किए जाएंगे।
दहेज हत्या के 44 में से 24 मामलों में मिली मदद
योजना के अंतर्गत दहेज हत्या के 44 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 24 के बैंक खाते में आर्थिक मदद पहुंची। पॉक्सो एक्ट की धारा-4 और धारा-6 के 377 मामले आए, जिनमें से महज 64 को ही आर्थिक सहायता मिल सकी है। वहीं, एसिड अटैक की 22 पीड़िताओं ने योजना में आवेदन किया, जिनमें से सात को ही योजना का लाभ मिल सका है। इसी तरह विभिन्न मामले संबंधित विभागों में लंबित पड़े हुए हैं, जिससे महिलाओं को उनकी सम्मान राशि नहीं मिल पा रही है।''आवेदनों के निस्तारण के लिए स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के नोडल अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही योजना के लाभ से वंचित दुष्कर्म और अन्य हिंसाओं से पीड़ित महिलाओं के बैंक खाते में धनराशि भेजी जाएगी।'' -विकास चंद्रा, जिला प्रोबेशन अधिकारी
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