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लखनऊ: केजीएमयू में लिवर और किडनी के गंभीर मरीज प्रत्यारोपण के इंतजार में हैं. इन मरीजों के परिवारीजन किन्हीं कारणों से अंगदान नहीं कर पा रहे हैं. अब इन्हें सिर्फ ब्रेन डेड मरीजों का ही सहारा है.
अंग प्रत्यारोपण के इंतजार में गंभीर मरीज अंग प्रत्यारोपण के इंतजार में किडनी व लिवर के 70 मरीज हैं. इन मरीजों ने खुद को केजीएमयू में पंजीकृत करा रखा है. जिसमें 50 किडनी व 20 लिवर के मरीज हैं. इन मरीजों के परिवारीजन किन्हीं कारणों से अंगदान नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे मरीजों को अब ब्रेन डेड मरीजों के अंग दान की आंस है.
हर माह 10 से 15 ब्रेन डेड आ रहे ट्रॉमा सेंटर में प्रदेश भर से गंभीर अवस्था में मरीज आ रहे हैं. इनमें हर माह 10 से 15 मरीजों को ब्रेन डेड होते हैं. पर अंगदान कार्यक्रम और प्रत्यारोपण को रफ्तार नहीं मिल पा रही है. परिवारीजनों को राजी करने में कठिनाई आ रही है.
पीजीआई, लोहिया में अंगदान नहीं होता
पीजीआई, लोहिया में भी इमरजेंसी का संचालन हो रहा है. गंभीर मरीज ब्रेन डेड अवस्था में लाए जा रहे हैं. पर, अभी तक ब्रेन डेड मरीजों के अंगदान के लिए रणनीति नहीं बनाई गई है. लोहिया में किडनी, पीजीआई में दोनों अंगों का प्रत्यारोपण तो रहा है. पर, ब्रेन डेड से अंग लेने का काम शुरू ही नहीं हुआ.
संसाधनों की कमी से किडनी प्रत्यारोपण ठप
केजीएमयू में किडनी प्रत्यारोपण पर ब्रेक है. ऑपरेशन थिएटर,आईसीयू की कमी से गुर्दे के गंभीर मरीजों का प्रत्यारोपण ठप है. दिसंबर 2022 से किडनी प्रत्यारोपण शुरू हुआ. अब तक पांच किडनी प्रत्यारोपण हो चुके हैं. 25 अप्रैल को अंतिम गुर्दा प्रत्यारोपण हुआ. उसके बाद से गुर्दा प्रत्यारोपण नहीं हो पाया है. गेस्ट्रो सर्जरी विभाग में गुर्दा प्रत्यारोपण हो रहा था. प्रत्यारोपण के बाद मरीज व डोनर को आईसीयू में भर्ती किया जा रहा था.