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इलाहाबाद: विकासशील देशों को जलवायु खतरों से निपटने के लिए सालाना 5.8 खरब डॉलर राशि की जरूरत होगी. इसमें से अकेले चार खरब डॉलर उन्हें नई ऊर्जा तकनीकों पर खर्च करने होंगे तभी वे 2050 तक नेट जीरो के लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं.
जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद जारी दिल्ली घोषणापत्र में इस राशि का जिक्र किया गया है. लंबे समय से एक नए जलवायु कोष को स्थापित करने की बात की जा रही है. जी-20 और अन्य जलवायु वार्ताओं में इस पर चर्चा भी हुई है. पर इसके लिए कितनी राशि की जरूरत है, इसका आकलन अभी तक नहीं हो पाया था.
दिल्ली घोषणापत्र में इसका जिक्र करते हुए कहा गया है कि नेट जीरो के लिए 2030 तक जलवायु मोर्चे पर जो कार्य होना है, उसके लिए विकासशील और गरीब देशों को सालाना 5.8-5.9 खरब डॉलर की जरूरत होगी. सभी जी-20 देशों ने इस घोषणापत्र पर सहमति प्रकट की है. इसका मतलब यह हुआ कि इस राशि के आकार से भी वह सहमत हैं. मौजूदा समय में 100 अरब डॉलर एकत्र हो रहे मौजूदा समय में जलवायु कोष के लिए हर साल 100 अरब डॉलर की राशि एकत्र की जाती है. इस राशि का निर्धारण 2009 में किया था लेकिन अब यह बहुत कम महसूस की जा रही है. हालांकि, यह भी सही है कि कभी भी इतनी राशि जुटाने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है. हां, इस साल यह पूरा होने जा रहा है. लेकिन जलवायु खतरों से निपटने के लिए यह राशि बहुत कम है.