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![सामान्य से 54 बारिश कम, फसलों पर संकट सामान्य से 54 बारिश कम, फसलों पर संकट](https://jantaserishta.com/h-upload/2023/08/04/3258528-a8b8d4d3743308902d335c8ce81522e3.webp)
बस्ती: जिले में बरसात का औसत आधे से कम है. सामान्य के सापेक्ष 46.44 प्रतिशत हुई वर्षा भी खंडवृष्टि है. यह बरसात जिले के किसी एक हिस्से में हुई तो दूसरा हिस्सा इससे अछूता रहा. सबसे कम बरसात शहर से लेकर देईसांड के बीच हुई है. जुलाई में हुई पहली बार तेज बरसात का साथ मिला तो किसानों ने धान की रोपाई तो कर दी, लेकिन कम वर्षा के चलते रोपे गए धान को बचाने के लिए किसानों को जद्दोजदह करनी पड़ रही है. कुछ इलाकों में तीन बार तो अधिकांश जगहों पर दो बार धान की सिंचाई की जा चुकी है.
किसानों की मानें तो इसके चलते धान की लागत 25 प्रतिशत तक बढ़ गई है. अब बरसात नहीं होती है तो फसल को बचाना मुश्किल होगा.
किसानों को बारिश का इंतजार हर्रैया तहसील क्षेत्र की मानें तो एक पखवारे से छिटपुट बूंदाबांदी को छोड़कर बरसात नहीं हुई. सिसई के राजेशरी पांडेय, हरदिया के पवन सिंह, बसदेवा कुंवर घनश्याम सिंह ने बताया कि एक पखवारे से अधिक का समय हो गया है. क्षेत्र में बरसात नहीं हुई है. पहले कम बरसात हुई तो धान की रोपाई निजी इंजन से पानी भरकर कराया था. फसल बचाने के लिए सिंचाई करना पड़ रहा है. इससे किसानों की कमर टूट रही है. एक बीघा खेत की सिंचाई करने में तीन से चार घंटे लग रहे हैं. किराए के इंजन पर 600 रुपये तक खर्च हो रहा है. कप्तानगंज क्षेत्र में 10 दिनों के दौरान दो बार सिंचाई करनी पड़ रही है. दुबौलिया ब्लॉक क्षेत्र में पिछले एक पखवारे में छिटपुट बूंदाबांदी के अलावा वर्षा नहीं हुई. किसान अपने निजी संसाधनों से धान की सिंचाई कर रहे हैं. छावनी क्षेत्र में पखवारे के दौरान नाम मात्र की बरसात हुई है. रामगढ़ खास निवासी किसान यदुनंदन तिवारी ने बताया कि 13 जुलाई के बाद से बरसात नहीं हुई है. तीन बार सिंचाई कर चुके हैं. मोटर बोरिंग से 100 रुपये व डीजल इंजन से 200 रुपये प्रति घंटा सिंचाई का देना पड़ रहा है.