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झाँसी: अपव्यय रोककर शासन का धन ऐसे कार्यों में खर्च होगा, जिससे गांव के विकास संग ग्रामीणों का शैक्षिक, आर्थिक उत्थान हो और सामाजिक स्तर भी सुधरे. इसके लिए पंचायती राज विभाग के अफसर ग्रामों के विकास का माड्यूल तय करेंगे. जिसके मुताबिक कार्य करवाकर गांवों को समृद्ध, खुशहाल बनाया जाएगा.
जिले के 53 बड़े गांवों में इसका श्रीगणेश हुआ है. जरूरत से ज्यादा इन कार्यों पर धन खर्च किया जा चुका है. अभी भी यह सिलसिला नहीं थमा है. तमाम स्थानों पर कई बार नाली, खड़ंजा बनाया गया जबकि स्थानीय स्तर पर अन्य मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता है. शासन की धनराशि से ऐसे भी कार्य कराए जा सकते हैं, जो गांव की दिशा, दशा व तस्वीर बदल दें. चार हजार से अधिक आबादी वाली जनपद की 53 ग्राम पंचायतों में सुनियोजित विकास के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 की कार्ययोजना पंचायती राज विभाग अधिकारियों व कर्मचारियों की देखरेख में बनाई जाएगी. ग्राम पंचायत को आत्मनिर्भर बनाने के साथ आय के नए-नए स्रोतों का सृजन करना बेहद जरूरी है .शासन की मंशा को ध्यान में रखते हुए ग्राम पंचायत में बैठक की सूचना जिला पंचायत राज अधिकारी को बीस दिन पहले उपलब्ध करवा दी जाए.
इन ग्राम पंचायतों का किया चयन: जिला पंचायत राज अधिकारी ने जनपद की कुल 53 ग्राम पंचायतों को मॉडल व आत्मनिर्भर बनाने का निर्णय लिया है. ग्राम पंचायतों की संख्या पर ब्लाकवार नजर दौड़ाई जाए तो जखौरा विकास खंड के सर्वाधिक , ब्लाक तालबेहट के , ब्लाक बिरधा के 09, महरौनी ब्लाक के 08, विकास खंड बार के 07 व विकास खंड मड़ावरा के 06 गांव इसमें शामिल हैं.
आईएसओ सर्टिफिकेशन को यह जरूरी: भारतीय मानक संगठन के पैरामीटर पर खरा उतरने के लिए ग्राम पंचायतों को कई पैमानों पर कसना होगा. गांव में सचिवालय की क्रियाशीलता व उसमें फ्रंट आफिस की उपलब्धता के साथ कार्यरत अफसरों कर्मियों, सदस्यों तथा सेवाओं का विवरण लेखन होना जरूरी है. नागरिक चार्टर, नोटिस बोर्ड की व्यवस्था, शिकायत सुझाव व रजिस्टर की उपलब्धता आवश्यक है.