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बस्ती न्यूज़: फोरलेन पर टोल लेकर सुविधाएं देने में एनएचएआई के जिम्मेदार असफल साबित हो रहे हैं. जिले की सीमा में अयोध्या-गोरखपुर फोरलेन पर दोनों टोल प्लाजा से करीब 50 लाख रुपये से अधिक रोजाना टोल की वसूली हो रही है लेकिन सुविधाएं नहीं हैं. सड़क खराब सड़क पर यात्रा करने को लोग मजबूर हैं. इसके अलावा पेट्रोलिंग वाहन महज दिखाया साबित हो रहे हैं. रात में तो पेट्रोलिंग व्यवस्था राम भरोसे रहती है.
एक से दूसरे टोल के बीच 60 किमी का फासला होना चाहिए, लेकिन जिले में 40 किमी के बीच दो टोल बूथ हैं. टोल कंपनी वाहनों से वसूली में आगे है, लेकिन सुविधाएं नदारद हैं. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) की वेबसाइट पर दो टोल बूथ मड़वानगर (बस्ती शहर) और चौकड़ी (छावनी) अधिकृत है. बता दें अयोध्या-गोरखपुर फोरलेन की स्थिति बरसों से बद से बदतर है. फोरलेन की मरम्मत के लिए एनएचएआई की ओर से एक कंपनी को टेंडर भी दिया जा चुका है, जिसकी जिम्मेदारी एक वर्ष तक फोरलेन के रख-रखाव की है. दिसंबर 2022 में लेन मरम्मत का कार्य कार्यदाई संस्था की ओर से शुरू कर दिया जाना था लेकिन तीन माह बाद भी अभी तक फोरलेन की मरम्मत का का काम शुरू नहीं किया गया. वर्षों से जिम्मेदार सड़क पर पैचिंग लगाकर यातायात को बहाल कर रहे हैं. एनएचएआई और टोल के जिम्मेदार भले ही यात्रियों के सुगम यात्रा के लिए टोल और फोरलेन पर सुविधाएं होने का दावा कर रहे हो लेकिन टोल कंपनी सुविधाओं के मामले में फिसड्डी साबित हो रही हैं. सुरक्षित और आरामदायक सफर कराने वाला यह हाईवे असुरक्षित हो चला है. आए दिन हादसे हो रहे हैं कंपनी की सेहत पर कोई असर नहीं है. हाईवे पर गड्ढे दिख रहे. पटरियों पर पेड़ की डालियां लटकी हैं और डिवाइडर पर बड़ी-बड़ी घास उगी हुई हैं. सुरक्षा के लिए बनाए गए डिवाइडर जगह-जगह काट दिए गए हैं. टोल प्लाजा के दोनों ओर के पथ प्रकाश शो-पीस बन गए हैं. रोड किनारे लगे संकेतक लापता हैं तो सफेद पट्टियां मिट गई हैं. एनएचएआई के टीम लीडर केपी सिंह का कहना है कि जहां गड्ढे हैं वहां पैचिंग कराई गई है. संकेतक लगे हैं, हाईवे पर मम्मरत कार्य जल्द शुरू होगा.
टोल प्लाजा पर मिलनी चाहिए ये सुविधाएं
● टोल प्लाजा पर रेस्ट रूम बने होने चाहिए.
● आरओ प्लांट लगा हो ताकि चालकों को ठंडा पानी मिल सके.
● शौचालय की व्यवस्था हो और संकेतक लगे होने चाहिए.
● 40 किमी के अंतराल में एम्बुलेंस व क्रेन होनी चाहिए.
● पेट्रोलिंग वाहन सड़कों पर हमेशा रन करनी चाहिए.
● दुर्घटना की सूचना पर त्वरित एंबुलेंस की व्यवस्था.
● प्राथमिक उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए
कागजों में दिख रहे ब्लैक स्पॉट, हकीकत कुछ और
फोरलेन पर प्रशासनिक जिम्मेदार भले ही चिह्नित किए गए ब्लैक स्पॉट पर संकेतक नदारद हैं. बताया जा रहा है कि जिम्मेदारों की ओर से मनमाने जगहों को ब्लैक स्पॉट का नाम दे दिया गया है जबकि जिस जगह पर दर्जनों लोगों की जान जा चुकी हैं वह जगह ब्लैक स्पॉट नहीं घोषित हो पाया. फोरलेन पर संसारीपुर, कप्तानगंज, खजुहा, मुरादीपुर चौराहा समेत 25 ब्लैक स्पॉट चिह्नित हैं.