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मेरठ न्यूज़: मेरठ में सफाई और कूड़ा निस्तारण पर पांच वर्ष में 400 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो गए, लेकिन शहर से निकलने वाले 900 टन कूड़े के निस्तारण और बेहतर कूड़ा प्रबंधन में सफल नहीं हो सके. लोहियानगर में ही 92 लाख टन कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया.
नगर निगम शहर से प्रतिदिन 900 टन कूड़ा उठाने का दावा करता है, लेकिन इसके मुकाबले निस्तारण मुश्किल से सिर्फ 300 टन का ही हो रहा है. मंगतपुरम और लोहियानगर के आसपास के गांवों की हवा और पानी में जहर घुल रहा है पर फिक्र किसी को नहीं है. हालत यह है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में दो साल से नगर निगम को सम्मान तो मिल रहा है, लेकिन रैंकिंग अच्छी नहीं है.
लोहियानगर में लाखों टन कूड़े का है पहाड़ एमडीए की आवासीय कालोनी लोहियानगर में करीब 20 बीघा जमीन में कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया है. यह जमीन के नीचे भी करीब 50-60 फीट गहरा है. स्वच्छ भारत मिशन और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट तो आया पर यहां सांसों में घुलते जहर से मुक्ति नहीं मिल पाई. लोग निगम पर सवाल उठा रहे हैं.
खूब दिखाए कूड़े से बिजली खाद, गैस बनाने के सपने: कूड़े से बिजली, खाद और गैस बनाने के सपने दिखाते रहा, लेकिन अब तक एक भी प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं आ सका. अब तो एनजीटी के आदेश पर कूड़े के पहाड़ को लेकर जांच भी शुरू हो गई है. टीम ने वहां का हाल देखा तो दंग रह गई.
तरह-तरह की मशीनें खरीदीं, हो रहीं कबाड़: नगर निगम कूड़ा निस्तारण के लिए समय-समय पर तरह-तरह की मशीनों की खरीद कर रहा है. महीने चंद महीने ही मशीनें चलती है. उसके बाद वह कबाड़ हो जा रही है. कूड़ा निस्तारण के लिए बच्चा पार्क रेन बसेरा परिसर में 32 लाख रुपये की मशीन लगाई थी, जो कबाड़ हो गई. इसी तरह बुढाना गेट धर्मेश्वर महादेव मंदिर परिसर में सात लाख रुपये की एक मशीन लगाई गई, बेकार हो गया. जिला जेल में भी दो लाख रुपये की मशीन लगाई गई. कमिश्नरी, कैलाश प्रकाश स्टेडियम समेत करीब 150 स्थानों पर वर्मी कंपोस्ट यूनिट का दावा किया गया. सब बेकार. ज्यादातर मशीन खुद कबाड़ बन रही हैं.
हैरानी निगम हर माह 11 करोड़ से अधिक खर्च कर रहा , फिर भी शहर में कूड़े के पहाड़ खड़े हो गए
● नगर निगम शहर में सफाई के लिए करीब 900 स्थायी और 2415 आउटसोर्स सफाई कर्मचारी लगाए हुए है.
● छोटी कूड़ा गाड़ी, डंपर, ट्रैक्टर ट्रॉली, जेसीबी, पोर्कलेन मशीनें लगाई हुई हैं. इनके चालकों का वेतन खर्च अलग है.
● लोहियानगर, गावड़ी में कूड़ा निस्तारण प्लांट संचालन पर ही करीब 22 लाख प्रति माह खर्च हो रहे हैं.
● वेतन-भत्ते, मानदेय, डीजल आदि सब मिलाकर जोड़े तो अब सफाई पर प्रतिमाह 11 करोड़ 71 लाख रुपये से अधिक खर्च हो रहे हैं.