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किसान आंदोलन के कारण औद्योगिक इकाइयों में 40% उत्पादन घटा
गाजियाबाद: किसान आंदोलन के कारण जिले के दो हजार से अधिक इकाइयों का उत्पादन 40 फीसदी तक प्रभावित हुआ है. उद्यमियों का कहना है कि यदि जल्द इसका हल नहीं निकाला तो छोटे उद्यमी घाटे में चले जाएंगे. साथ ही महंगाई भी बढ़ सकती है.
उद्यमियों के मुताबिक बॉर्डर पर सख्ती के कारण हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात समेत अन्य राज्यों से कच्चा माल नहीं आ पा रहा है. इस वजह से इस्पात, गारमेंट्स फार्मा, ग्लास, पैकेजिंग, मार्बल, टाइल्स और पत्थर के साथ मैन पावर सप्लाई करने वाली इकाइयों पर असर पड़ा है. कच्चा माल नहीं आने के कारण 40 फीसदी तक उत्पादन घट गया है. एक सप्ताह में अभी तक 100 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार बाधित हुआ है.
ट्रांसपोर्टरों ने भाड़ा बढ़ाया उद्यमियों के मुताबिक रात में या वैकल्पिक मार्गों से जो ट्रक आ-जा रहे हैं. इसके चलते ट्रांसपोर्टरों ने भाड़ा करीब दोगुना कर दिया है. परेशानी की वजह से उनकी भी लागत बढ़ रही है. ऐसे में इकाई चलाने को मजबूर उद्यमियों को ज्यादा भाड़ा देना पड़ रहा है, जिससे उनकी लागत बढ़ रही है. माल की कीमत वही मिल रही है.
हिमाचल और हरियाणा के बीच होने वाला व्यापार बाधित हुआ है. फार्मा कंपनियों पर ज्यादा असर पड़ रहा है. जिले में एक सप्ताह में 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
-अरुण शर्मा, अध्यक्ष, गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन
उद्यमी सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, क्योंकि इनसे कई परिवार जुड़े होते हैं. कच्चे माल की उपलब्धता लगभग आधी हो गई है. नुकसान से कामगार भी प्रभावित हो रहे हैं. -दिनेश मित्तल, अध्यक्ष, साहिबाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
ट्रांसपोर्टर खड़े ट्रक का शुल्क दे रहे
किसान आंदोलन की वजह से ट्रांसपोर्टरों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. गाजियाबाद में अलग-अलग जगह पार्किंगों में एक हजार से अधिक ट्रक खड़े हैं. ट्रकों का पार्किंग शुल्क भी देना पड़ रहा है. ट्रक न चलने से पल्लेदार भी काम ढूंढ़ रहे हैं. इनका कहना है कि रोज काम कर परिवार का पेट पालते हैं. एक सप्ताह में दो दिन का काम भी नहीं मिला है.
मेरे ट्रक छह दिन से खड़े हैं. 25-30 प्रतिशत ट्रक ही चल पा रहे हैं. हालात नहीं सुधरे तो ट्रकों की ईएमआई के भुगतान की समस्या हो जाएगी.
-सरदार मंजीत सिंह, अध्यक्ष, उप्र ट्रांसपोर्टर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन
राजस्थान से पत्थर, मार्बल, टाइल्स की आपूर्ति आधे से भी कम हो गई है. यही हाल ग्लास उद्योग का भी है. हालात सामान्य नहीं हुए तो कई छोटी इकाइयां उद्यमियों को बंद करनी पड़ जाएंगी.
-संजय जैन, मार्बल उद्यमी