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मुजफ्फरनगर। फुगाना थाना क्षेत्र के गांव लिसाढ़ में घर में घुसकर डकैती और आगजनी के आरोप में मुकदमा झेल रहे चार लोगों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। अभियोजन के अनुसार मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने 2013 दंगे के एक मामले में सुनवाई करते हुए साक्ष्य के अभाव में 4 आरोपियों को बरी कर दिया। आरोप था कि एक व्यक्ति के घर पर गुस्साई भीड़ ने हमला बोलकर आग लगा दी थी, जिसके बाद आगजनी करते हुए मारपीट की गई थी और लाखों का माल लूट लिया गया था। इस मामले में एसआइटी ने विवेचना कर कोर्ट में 4 आरोपियों पर चार्जशीट दाखिल की थी। विगत
7 सितंबर 2013 को मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था। बचाव पक्ष के अधिवक्ता वीरेन्द्र कुमार बालियान ने बताया कि थाना फुगाना क्षेत्र के गांव लिसाढ़ में बवाल के बाद एफआइआर दर्ज की गई थी। उन्होंने बताया कि लिसाढ़ के नसीम ने मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया था कि वह घर परिवार के साथ था। 7 सितंबर 2013 को सांप्रदायिक नारेबाजी करते हुए सैंकड़ो लोगों की भीड़ ने उसके घर को घेर लिया था। मारपीट करते हुए उसकी पत्नी और परिवार के लोगों का जेवर और नगदी आदि लूट ली थी। जिसके बाद लोगों ने उसके घर में आग लगा दी थी और करीब 10 लाख रुपये के जेवर और दूसरा सामान लूट लिया था।
लिसाढ़ में उत्तेजित भीड़ के हमला कर आगजनी और डकैती की घटना के अंजाम दिये जाने के बाद नसीम ने कांधला में लगे एक राहत शिविर में परिवार सहित पनाह ली थी। 7 सितंबर की घटना के 15 दिन बाद मामले की तहरीर दी गई थी। जिसके आधार पर थाना फुगाना में 8 आरोपियों के विरुद्ध नामजद और सैंकड़ो अज्ञात पर धारा-147, 148, 149, 452, 395, 397 और 436 में मुकदमा दर्ज किया गया था। बचाव पक्ष के अधिवक्ता वीरेन्द्र कुमार बालियान ने बताया कि एसआइटी ने घटना की विवेचना कर गांव लिसाढ़ निवासी 4 आरोपियों सीटू और नीशू पुत्रगण सत्यप्रकाश और विकास एवं विक्की के विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता वीरेन्द्र कुमार बालियान ने बताया कि घटना के मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 10 की जज हेमलता के समक्ष हुई। उन्होंने बताया कि दोनों पक्ष की सुनवाई कर कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में चारों आरोपियों को बरी कर दिया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि वादी मुकदमा नसीम सहित मौके 3 गवाह अभियोजन की याचना पर कोर्ट ने पक्षद्रोही घोषित कर दिये थे।
विभिन्न कोर्ट में सुनवाई के बाद अब तक दंगों के केवल 2 ही मुकदमों में दोषियों को सजा सुनाई गई है। 2013 सांप्रदायिक दंगों के दौरान 510 मुकदमे दर्ज किये गए थे। जिनकी जांच एसआइटी ने की थी। जांच उपरांत 175 मुकदमों में चार्जशीट दाखिल की गई। एसआइटी ने 165 मुकदमों में एफआर लगा दी। 170 मुकदमे एक्सपंज किये गए। प्रदेश सरकार ने 79 मुकदमे वापस लेने की संस्तुति की थी। जिनमें से कोर्ट ने सात सितंबर 2013 को दर्ज एक मुकदमे को वापस करने की अनुमति दी। कोर्ट से अब तक दंगों के दो ही मुकदमों में सजा सुनाई गई है। 27 अगस्त 2013 को हुई सचिन तथा गौरव की हत्या के मामले में कोर्ट ने 7 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके अलावा 11 अक्टूबर 2022 को खतौली से भाजपा विधायक विक्रम सैनी सहित 12 आरोपियों को भी 29 अगस्त 2013 को दर्ज मुकदमे विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सजा सुनाई थी। उक्त मामले में विधायक विक्रम सैनी सहित 11 दोषियों को 2-2 वर्ष और एक दोषी को एक वर्ष की सजा सुनाई गई थी, जबकि करीब 16 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था।
Admin4
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