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इलाहाबाद न्यूज़: निजी कंपनियों सहित सरकारी विभागों के सताए गए जिले के 3946 उपभोक्ता 21 वर्षों से न्याय की आस में भटक रहे हैं. सबसे ज्यादा मामले इंश्योरेंस के हैं. हेल्थ बीमा के नाम पर कंपनियों ने उपभोक्ताओं से किस्त तो जमा कराई, लेकिन जब उपचार के समय में क्लेम देने का नंबर आया तो फाइल लिए उपभोक्त टहल ही रहे हैं. उपभोक्ता फोरम के आंकड़ों की मानें तो वर्ष 1990 से यह कार्यालय यहां पर गठित हुआ. तब से अब तक कुल 25 हजार 988 मामले यहां दर्ज हुए हैैं.
धूमनगंज निवासी अधिवक्ता के जवान बेटे का एक निजी अस्पताल में उपचार चल रहा था. गलत दवाओं के इस्तेमाल से बेटे की मौत हो गई. अधिवक्ता पिता वर्ष 2001 से जिला उपभोक्ता फोरम में केस लड़ रहे हैं. आज भी उन्हें न्याय की दरकार है.
जिले के हर्षित भार्गव ने पांच साल पहले ऊंचाहार एक्सप्रेस से दिल्ली का टिकट कराया. दिवाली के तत्काल बाद हर्षित को इंटरव्यू देने जाना था. उन्होंने एसी टू में रिजर्वेशन कराया था. अचानक मैसेज आया कि ट्रेन कैंसिल हो गई है. लेकिन उनके पैसे रेलवे ने वापस नहीं किए. उपभोक्ता फोरम में अपील की और पिछले महीने केस पूरा हुआ. फोरम ने आदेश दिया कि रेलवे हर्षित को टिकट के पैसे रिफंड करे और पांच हजार रुपये जुर्माना भी लगाया.