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कानपूर की 35 प्रतिशत महिलाएं नहीं जानतीं गर्भावस्था के नियम
कानपूर: गर्भावस्था के दौरान जरूरी बातों से अनजान गर्भवतियों के ये दो सिर्फ उदाहरण हैं. कानपुर की 35 प्रतिशत महिलाएं गर्भावस्था के नियमों को नहीं जानती हैं. उन्हें यह भी पता नहीं है कि किन बातों और जांच कब और क्यों करानी है. यह चौंकाने वाला खुलासा कानपुर आब्स गायनी सोसाइटी के सर्वे में हुआ है. शहर की 200 गर्भवतियों में से 72 महिलाओं ने सुरक्षित प्रसव व गर्भस्थ शिशु के लिए जरूरी बातों को फॉलो नहीं किया. आखिर में प्रसव के दौरान तमाम दिक्कतों से जूझना भी पड़ा.
किसी के परिजन का दखल तो कोई खुद लापरवाह गर्भावस्था के दौरान जरूरी बातों से भी दूरी बनाने के कई कारण भी सामने मिले हैं. 35 फीसदी में से फीसदी महिलाओं के परिजन का दवा खाने से लेकर जांच कराने में हस्तक्षेप रहा. फोलिक एसिड व विटामिन बी खाने से लेकर बच्चे की ग्रोथ के लिए जरूरी अल्ट्रासाउंड भी बार-बार कराने से मनाही करते रहे. वहीं 20 फीसदी ने खुद ही लापरवाही बरती. जरूरी दवा खाने से लेकर जांच कराने तक में बेपरवाह रहीं.
जो मन आया वह खाया, कोई रोकटोक नहीं सर्वे में खानपान को लेकर भी गर्भवतियों की लापरवाही सामने आई. जो मन आया, वह जमकर खाया. जंक फूड व बाजार में बिकने वाले शीतल पेय पदार्थ का जमकर इस्तेमाल किया. प्रोटीन, विटामिन, मोटा अनाज से भी दूरी बनाए रखी. मोबाइल पर देर रात तक बात करने से लेकर व्यायाम नहीं करने के मामले भी सामने आए.
सर्वे में इन्हें बताया जरूरी:
● शुरुआती सप्ताह तक फोलिक एसिड व विटामिन बी का सेवन हर हाल में जरूरी
● पांच माह पूरे होने पर अल्ट्रासाउंड से शिशु के बेहतर विकास की जानकारी जानना जरूरी ● नियमित रूप से खून, शुगर, बीपी की जांच कराएं, ताकि कोई खतरा रोका जा सके ● हल्का व्यायाम व योग नियमित रूप से करें, लेकिन डॉक्टर की सलाह पर ही.
जांच भी कराने से परहेज:
सर्वे में शामिल महिलाओं में खून व शुगर की जांच नहीं कराने वाली महिलाएं भी मिलीं. खून की जांच नहीं होने से एनीमिया की चपेट में आने और इसका गर्भस्थ शिशु पर पड़ रहे असर से भी अनजान रहीं. वहीं शुगर लेवल की जांच नहीं होने से कई का शुगर भी हाई रहा. सातवें व आठवें माह में शुगर लेवल 400 पहुंच गया.
32 साल की गर्भवती को कई दिन से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. पता चला कि गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ रहने को जरूरी नियमों का पालन तक नहीं किया गया.
35 साल की महिला सात माह की गर्भवती हैं. इन्होंने शुरुआती सप्ताह तक बेहद जरूरी फोलिक एसिड तक नियमित रूप से नहीं ली. कई जरूरी जांच भी नहीं कराई.
सर्वे में 35 फीसदी महिलाएं गर्भावस्था के नियमों के बारे में नहीं जानती हैं. कई परिजनों के कारण तो कुछ खुद भी लापरवाही करती रहीं. परिणाम प्रसव के दौरान तमाम तरह की दिक्कतें और शिशु के लिए खतरा बनता है. - डॉ रेशमा निगम, सेक्रेटरी, कानपुर आब्स गायनी सोसाइटी