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नोएडा। नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के खाते में सेंधमारी कर तीन करोड़ 90 लाख रुपये निकालने के मामले में नोएडा पुलिस ने गिरोह के तीन आरोपियों को मंगलवार शाम को सेक्टर-62 मेट्रो स्टेशन के पास से गिरफ्तार किया है। गिरोह का सरगना मनु पोला और उसके कई अन्य साथी अभी भी फरार है। पुलिस उपायुक्त (जोन प्रथम) हरीश चंदर ने बताया कि फरार आरोपी की तलाश में पुलिस की 6 टीमें कई राज्यों में दबिश दे रही हैं। आरोपियों के कब्जे से नवीन ओखला विकास प्राधिकरण के चार फर्जी पत्र, दो फर्जी एफडी, पांच लाख रुपये खाते में जमा कराने की एक स्लिप, बैंक खाता खोलने का एक फार्म सहित अन्य सामान बरामद हुआ है। उन्होंने बताया कि आरोपियों के खातों में जमा पांच लाख रुपये की रकम को पुलिस ने फ्रीज भी कराया है।
डीसीपी ने बताया कि आरोपियों की पहचान गाजियाबाद के मुरादनगर के सुधीर चौधरी, बुलंदशहर के जहांगीराबाद के मुरारी जाटव और उन्नाव के राजेश बाबू के रूप में हुई है। फर्जी व कूटरचित दस्तावेज तैयार कर प्राधिकरण की एफडी बनाकर तीन करोड़ 80 लाख रुपये स्थानांतरण कर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह में शामिल आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए प्राधिकरण और बैंक के आसपास सेक्टर-58 थाने की पुलिस ने करीब 60 सीसीटीवी कैमरे खंगाले।
फुटेज से ही आरोपियों की पहचान की गई। पैसे के लेनदेन को लेकर तीनों सेक्टर-62 मेट्रो स्टेशन के पास पहुंचे थे उसी दौरान मुखबिर से मिली सूचना पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीनों को मौके से ही दबोच लिया। फुटेज से आरोपियों के चेहरे का मिलान कर उनकी पहचान की पुष्टि की गई।
पूछताछ के दौरान गिरफ्त में आए राजेश बाबू ने बताया कि बैंकों से तीन खाते खोलकर मनुपोला ने धोखाधड़ी की जो रकम उसमें डाली थी उसे सरगना ने निकलवा लिया था। इसमें बतौर कमीशन राजेश को आठ लाख रुपये मिले। मनुपोला राजेश के सेक्टर-34 स्थित किराये के कमरे पर सेंधमारी को लेकर मीटिंग करता था। कई दिन पहले ही वह नोएडा आ गया था। राजेश ने आठ लाख में से पांच लाख रुपये अपने फूफा सुंदर लाल के यूनियन बैंक के खाते में ट्रांसफर कर दिए थे। शुक्लागंज स्थित संबंधित बैंक की शाखा से संपर्क कर फूफा के खाते में जमा रकम को फ्रीज करा दिया गया।
सेक्टर-62 स्थित बैंक में खाता खुलवाने में इन तीनों के अलावा त्यागी,राजेश पांडेय और मिश्रा के नाम भी सामने आए हैं। नोएडा प्राधिकरण के नाम से 200 करोड़ रुपये की एफडी होनी थी। इसी योजना के तहत खाते खुलवाए गए। प्राधिकरण के 200 करोड़ रुपये उसमें ट्रांसफर कराए गए। सौ-सौ करोड़ रुपय की दो फर्जी एफडी बनाकर बैंक को दी गई।
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