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लखनऊ न्यूज़: कूड़ा उठाने में फेल ईको ग्रीन कंपनी को हटाने में अभी भी आंख मिचौली चल रही है. पहले प्रशासक काल में फैसला नहीं हुआ और अंतिम लीगल नोटिस जारी कर कार्रवाई महापौर टाल दी गयी. अब कार्यकारिणी की बैठक के बाद एक बार फिर इसे हटाने की चर्चा है लेकिन अभी तक इसकी बर्खास्तगी के आदेश पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं. कंपनी को 27 बार नोटिस दी गयी है.
कूड़ा प्रबंधन की जिम्मेदारी इको ग्रीन को 21 मार्च 2017 को त्रिपक्षीय अनुबंध से दी गयी थी. लेकिन कंपनी न घर-घर से कूड़ा उठा पाई और न ही प्लांट में इसका निस्तारण किया. पिछले महीने भी कंपनी पर पांच लाख जुर्माना लगाया गया. नवंबर 2022 में कंपनी को हटाने के लिए लीगल नोटिस दी गई थी. 21 मार्च 2023 को नगर निगम ने इकोग्रीन के अनुबंध को निरस्त करने के लिए मेयर की अनुपस्थिति में प्रशासक समिति को अधिकृत करने के लिए शासन से अनुमति मांगी थी. शासन के संयुक्त सचिव ने अधिकृत कर दिया था. इसके बावजूद अनुबंध मार्च में नहीं निरस्त हो पाया. 2 जून 2023 को नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खर्कवाल व विभिन्न दलों के पार्षदों की बैठक हुई. अनुबंध निरस्त का फैसला हुआ. फिर कोई कार्रवाई नहीं हुई. 26 जून 2023 को बैठक में कार्यकारिणी ने नगर आयुक्त और महापौर को फैसले के लिए अधिकृत किया लेकिन वही हाल रहा.
ईको ग्रीन कंपनी को हटाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. वह बिल्कुल भी काम नहीं कर रही है. बैठक में तय हुआ है. एक दो दिन में कार्यवाही होगी.
संजीव प्रधान, पर्यावरण अभियंता
20 कूड़ा ही लैंडफिल साइट में जाना था, 100 भर दिया
ईको ग्रीन कंपनी को 80 कचरे का निस्तारण कर उसे खाद, आरडीएफ व अन्य चीजें बनानी थी. बाकी 20 कचरा ही प्लांट के लैंडफिल साइट में जाना था. लेकिन कंपनी ने 100 कूड़ा लैंडफिल साइट में भर दिया. जिससे प्लांट पर कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया. इको ग्रीन को दी गई नोटिस में भी लिखा गया है कि कंपनी का यह कृत्य सर्वथा अनुचित तथा अनुबंध टर्मिनेशन हेतु पर्याप्त है. कम्पनी ने प्लांट पर लगी मशीनों, इलेक्ट्रिकल वायरिंग व अन्य सिविल स्ट्रक्चर को भी जीर्ण शीर्ण कर दिया है.