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लखनऊ: जर्जर घोषित आनंद नगर की फतेह अली रेलवे कॉलोनी में आखिर किसकी शह पर 25 परिवार अभी भी रह रहे हैं. पिछले वर्ष जनवरी में ही रेलवे ने आवासो को जर्जर घोषितकर नोटिस जारी कर दी थी. कुछ खाली कर गए, 25 परिवार अभी भी रह रहे हैं. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इनमें कोई आवंटी नही हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि जर्जर आवासों में रहने वाले लोग कहां से आ गए. खाली कराने की जहमत क्यों नहीं उठाई.
चारबाग स्टेशन के पीछे स्थित फतेह अली रेलवे कॉलोनी में 70 आवास बने हुए थे. रेलवे इंजीनियरों ने जनवरी में इन आवासों की जांच कर कंडम घोषित कर दिया. यहां रह रहे परिवारों को खाली करने का नोटिस दे दिया गया. यह भी बता दिया गया कि आवास में रहना खतरनाक हो सकता है.
इसके बाद करीब 35 परिवार घर खाली कर चले गए लेकिन 25 परिवार जान जोखिम में डालकर अभी भी रह रहे हैं. इनका हिसाब न तो रेलवे के पास है और न ही आरपीएफ के पास. अब गर्दन फंसी तो रेलवे अधिकारी कह रहे हैं कि मृतक परिवार हमारे कर्मचारी नहीं थे. अब सवाल पैदा होता है कि कर्मचारी नहीं थे तो सरकारी आवास में कैसे रह रहे थे.
बिना पानी और बिजली के क्वार्टर में रह रहा था परिवार
रेलवे ने कंडम घोषित क्वार्टरों में लाइट और पानी सप्लाई बंद कर दी थी. मूलभूत सुविधाओं के बिना परिवार दिन गुजार रहा था. सतीश के साले राजेश ने यह बात कही. बेटी हर्षिता कक्षा तीन, बेटा हर्षित पांच, छोटा बेटा अंश प्ले स्कूल में पढ़ते थे. राजेश ने बताया कि बिजली-पानी सप्लाई नहीं होने पर सतीश ने पड़ोस के एक मकान से अस्थाई कनेक्शन ले रखा था. पानी के लिए सरकारी नल का सहारा था.