उत्तर प्रदेश

215 करोड़ की GST चोरी, UP साइबर क्राइम पुलिस ने पकड़ा

Shantanu Roy
30 Jun 2022 6:30 PM GMT
215 करोड़ की GST चोरी, UP साइबर क्राइम पुलिस ने पकड़ा
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लखनऊ। यूपी साइबर क्राइम पुलिस ने फर्जी नाम और पते पर फर्म खोल करोड़ों जीएसटी में खेल करने वाले को पकड़ा है। गिरफ्तार संजय ने 37 फर्म बना 215 करोड़ रुपए की आईटीसी यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया। साइबर क्राइम की टीम ने टैक्स चोरी करने वाले गिरोह का खुलासा किया। गिरफ्तार संजय के गिरोह में कई लोग शामिल है। जिनकी तलाश पुलिस टीम कर रही है।

2019 से चला रहा था गिरोह, दिल्ली और नोएडा में भी चला रहा गिरोह
एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह ने बताया कि यह यूपी का सबसे बड़ा जीएसटी चोरी पकड़े जाने वाला मामला है। गिरफ्तार संजय फर्जी व्यावसायिक फर्म बनाकर जीएसटी चोरी का दिल्ली से नोएडा तक गिरोह चला रहा था। लखनऊ के अमीनाबाद में 2019 और पीजीआई थाने में 2020 में उसकी फर्म के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ था। दोनों मामलों की विवेचना लखनऊ साइबर क्राइम थाना इंस्पेक्टर मो. मुस्लिम खान कर रहे थे। इसमें सामने आया कि इसके गिरोह ने करोड़ों रुपए की जीएसटी चोरी की है। इसके लिए कई फर्जी नाम व पते पर फर्म बनाई थी। इसके चलते साइबर क्राइम टीम ने जानकीपुरम मिर्जापुर गांव से संजय सिंह यादव को गिरफ्तार किया। संजय मूलरुप से उन्नाव के फतेपुर चौरासी के पवारनखेड़ा का रहने वाला है। उसके पास से टीम को जीएसटी चोरी प्रयोग होने वाला मोबाइल नंबर बरामद किया है। साइबर पुलिस टीम उससे पूछताछ कर रही है।
संजय ने खोले थे 37 फर्म, लगाया 215 करोड़ का चूना
एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह के मुताबिक जब इन फर्जी फर्म का भौतिक सत्यापन किया गया तो फर्जीवाड़ा सामने आया। संजय सिंह यादव ने अपने नाम से 37 फर्म तैयार की। इनके फर्जी तरीके से बैंक में खाते खुलवाए। वहीं इन सभी 37 बैंक खातों में तीन मोबाइल नंबर का प्रयोग किया। इन खातों में 215 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया। उसने पत्नी के नाम पर इमपोर्टी सेल नाम की कंपनी बना रखी है। जिसके दिल्ली में स्टोर है। संजय की पत्नी के नाम पर दिल्ली में फ्लैट, लखनऊ में मकान है।
ऑन लाइन पंजीयन करा बनाये फर्जी फर्म, किया करोड़ों का लेनदेन
एसपी त्रिवेणी सिंह के मुताबिक जीएसटी चोरी करने के लिए सरकार ने परिवहन के लिए ई-वे बिल अनिवार्य कर दिया। जिससे हर खरीद की सूचना विभाग को मिलने लगी। इसके बाद इन शातिर अपराधियों ने माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए ऐसी योजना बनाई की किसी तरह ई-वे बिल भी प्राप्त कर लिया जाए। अपना नाम भी सामने न आये। इसके लिए आरोपियों ने फर्जी तरीके से फर्म बनाई।
इन फर्मों का जीएसटी में पंजीयन कराने के लिए ऑन लाइन व्यवस्था का फायदा उठाया। आन लाइन प्रक्रिया में ओटीपी हासिल करने के लिए एक मोबाइल नंबर व ई-मेल का प्रयोग किया गया। जो कई फर्म में एक ही व्यक्ति, एक मोबाइल नंबर, एक ई-मेल का प्रयोग इन शातिर अपराधियों ने किया। फर्जी कंपनी तैयार कर उसमें फर्जी क्रय-विक्रय दिखाया और करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी की।
लखनऊ में 10 करोड़ से अधिक का फर्जीवाड़ा
साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक मो. मुस्लिम खां के मुताबिक संजय सिंह यादव ने लखनऊ में दस करोड़ का फर्जीवाड़ा किया। उसके खिलाफ अमीनाबाद में विशाल कश्यप ने 10 अगस्त 2019 को मुकदमा दर्ज कराया। जिसमें आरोप लगाया कि उनके फर्म के नाम का फर्जी रजिस्ट्रेशन हो गया है। यह काम राशिद सिद्दीकी नाम के व्यक्ति ने किया है। उसने डेढ़ करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी की है। वहीं 9 अक्तूबर 2020 को पीजीआई थाने में अजीम इकबाल खान ने एक मुकदमा दर्ज कराया। जिन्होंने आरोप लगाया कि 8 फर्म के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है। वहीं 9 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई।
1700 करोड़ की जीएसटी चोरी में भी आया था नाम
एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह के मुताबिक पूछताछ में सामने आया कि आरोपी संजय सिंह यादव का नाम कुछ दिन पहले भी आया था। मेरठ में जीएसटी विभाग ने 1700 करोड़ रुपए की चोरी पकड़ी थी। इसमें 650 फर्जी फर्मों का नाम सामने आया। इस प्रकरण में संजय सिंह यादव और उसके सहयोगी चार्टेड अकाउंटेंट प्रदीप कुमार का नाम सामने आया। प्रदीप दिल्ली का रहने वाला है। उसके पास कई बड़े कारोबारियों के व्यापार की कुंडली है। एसपी साइबर क्राइम के मुताबिक इस मामले में अब जीएसटी विभाग से विवेचना में मदद ली जाएगी।
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