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उत्तरप्रदेश | केजीएमयू के डॉक्टरों ने 13 माह की बच्ची के पेट से करीब पौने दो किलो का भ्रूण निकालकर उसे नया जीवन दिया. ऑपरेशन के बाद बच्ची की सेहत में सुधार है.
सिद्धार्थनगर के शहजाद आलम व रहीमा खातून की 13 माह की बेटी रूमाइशा के पेट में पांच महीने से सूजन बढ़ रही थी. भूख नहीं लगती थी और सांस लेने में तकलीफ थी. परिवारीजन केजीएमयू लाए तो पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. जेडी रावत की देखरेख में इलाज शुरू हुआ. जांच में पता चला कि बच्ची के पेट में भ्रूण है. डॉ. जेडी रावत ने बताया कि चिकित्सा विज्ञान में इस बीमारी को फीटस इन फिटु कहते हैं. यह बीमारी पांच लाख बच्चों में किसी एक को होती है. भ्रूण में हड्डी और शरीर के अन्य अंगों के साथ ही बाल और आंत भी विकसित थे.
डॉ. जेडी रावत के मुताबिक भ्रूण नसों और धमनियों के साथ बाएं गुर्दे और बाएं फेफड़े की झिल्ली से चिपका हुआ था. 31 जुलाई को करीब तीन घंटे की सर्जरी के बाद इसे निकाला गया. टीम में डॉक्टर सर्वेश कुमार गुप्ता, अंजू सिस्टर और एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. सतीश वर्मा भी शामिल थे.
अस्पताल में अनदेखी से महिला मरणासन्न
एक निजी अस्पताल में गर्भपात के दौरान लापरवाही से महिला की जान पर बन आई. क्वीनमेरी की आईसीयू में जिंदगी की जंग लड़ रही है. रकाबगंज के रजत गुप्ता ने बताया कि पत्नी जूली (30) के गर्भ में जुड़वा बच्चे थे. डॉक्टरों की सलाह पर मड़ियांव छठामील के रैथा रोड स्थित निजी अस्पताल में 17 जुलाई को 17 हजार रुपये लेकर पत्नी का गर्भपात किया गया. दर्द होने पर दोबारा अल्ट्रासाउंड में पता चला कि भ्रूण के टुकड़े बच्चेदानी व दूसरी जगह फंस हुए हैं. इससे सड़न पैदा होने लगी है. रात क्वीनमेरी में ऑपरेशन हुआ. तीन यूनिट खून भी चढ़ा. निजी अस्पताल की डॉ. गायत्री का कहना है कि महिला का गर्भपात नहीं किया गया है.
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