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उत्तर प्रदेश
10 सिखों को उतारा था मौत के घाट , हाई कोर्ट ने 34 पूर्व पुलिसकर्मियों को जमानत देने से किया इनकार
Apurva Srivastav
28 May 2022 3:50 PM GMT
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में पीलीभीत के सबसे चर्चित फर्जी एनकाउंटर के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने पीएसी के 34 पूर्व पुलिसकर्मियों को जमानत देने से इनकार कर दिया है. पीलीभीत में साल 1991 में दस सिखों का फर्जी एनकाउंटर करने के मामले में 34 पुलिसकर्मियों की जमानत अर्जी को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि पत्नी, बच्चों से अलग कर किसी को मार देना जायज नहीं है. फर्जी मुठभेड़ में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों ने कहा अदालत ने न्याय किया है. अब दोषी पुलिकर्मियों की सजा का इंतजार है
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, कुछ सिख तीर्थयात्री 12 जुलाई 1991 को पीलीभीत से एक बस से तीर्थयात्रा के लिए जा रहे थे. बस में बच्चे और महिलाएं भी थी. बस को रोककर 11 लोगों को उतार लिया गया. इनमें से 10 लोगों का पुलिस ने आतंकी बताकर पीलीभीत के न्यूरिया, बिलसंडा और पूरनपुर थाने इलाके में एनकाउंटर कर दिया. इतना ही नहीं इस घटना के बाद गायब हुए 11 बच्चों का अबतक कोई सुराग नहीं लगा है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया और सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंपी. सीबीआई की जांच के बाद 57 पुलिसकर्मी दोषी पाए गए थे.
मामला शुरू होने से अबतक दोषी पाए गए 10 पुलिसकर्मियों की मौत
मामला शुरू होने से अबतक दोषी पाए गए 57 पुलिसकर्मियों में से दस की मौत हो चुकी है. साल 2016 में लखनऊ सीबीआई कोर्ट ने बाकी बचे 47 पुलिकर्मियों को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी. सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दाखिल की गई, जिसमें 12 दोषी पुलिसकर्मियों को बीमारी की वजह से पहले ही जमानत दे दी गई
महाराष्ट्र के गुरुद्वारा हजूर साहिब से लौट रहे थे सभी सिख
इस घटना के 25 साल बाद 2016 में कोर्ट ने सभी को दोषी करार देते हुए न्याय किया. तब से अबतक दोषी लगातार हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर जमानत मांग रहे हैं, लेकिन कोर्ट ने एक बार फिर जमानत अर्जी खारिज कर दी. महाराष्ट्र के गुरुद्वारा हजूर साहिब से लौटते वक्त सिखों को आतंकवादी बताकर पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था. पुलिस ने बस से 11 लोगों को उतारा जिसमें 1 बच्चा भी शामिल था
Apurva Srivastav
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