उत्तर प्रदेश

बलरामपुर अस्पताल के लावारिस वार्ड में फैली गंदगी, तेज बदबू के बीच रहने को मजबूर मरीज

Rani Sahu
26 Aug 2022 2:29 PM GMT
बलरामपुर अस्पताल के लावारिस वार्ड में फैली गंदगी, तेज बदबू के बीच रहने को मजबूर मरीज
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बलरामपुर अस्पताल में साफ-सफाई से लेकर बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था भी है और उसका आभाव भी है
लखनऊ। बलरामपुर अस्पताल में साफ-सफाई से लेकर बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था भी है और उसका आभाव भी है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि इस अस्पताल की दो तस्वीरें पूरा भेद बताने के लिए काफी हैं। खास बात यह है कि यह दोनों तस्वीरें एक ही इमारत की हैं, बस अन्तर इतना है कि एक तस्वीर इमारत के ग्राउंड फ्लोर की है। दूसरी तस्वीर फस्ट फ्लोर की। एक जगह पर बेहतर या यूं कहें कि गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा मिल रही है, साथ ही और भी सुविधायें मरीजों को दी जा रही हैं। यह वह वार्ड है जहां पर बुजूर्ग मरीजों को भर्ती कर इलाज दिया जाता है।
वहीं दूसरा वार्ड लावारिस मरीजों का है जहां साफ-सफाई व्यव्यस्था भी हासिये पर है। लावारिस वार्ड में घुसना भी दूभर है। तेज बद्बू दिमाग तक हिला देती है। हालांकि एक कर्मचारी इन लावारिस मरीजों को खाना खिलाने से लेकर उनकी साफ-सफाई व्यवस्था दुरूस्त करने का काम करता है। लेकिन वह नकाफी साबित हो रहा है। यहां एक ऐसा मरीज भी भर्ती है,जिसके साथ परिजन भी मौजूद है।
परिजन ने पहचान न बताने की शर्त पर बताया है कि खाना-पानी तो समय पर मिलता है,लेकिन डॉक्टर इस वार्ड में देखने नहीं आते। लावारिस वार्ड में मरीज अपने ही गंदगी के बीच पड़ा रहता है, यह लावारिस है तो इनकी चिंता आखिर करे कौन। ऐसे में यदि मरीज के परिजन की बात मानी जाये तो यहां लापरवाही का आलम दिखाई पड़ता है। ऐसे में सवाइ उठना लाजमी है कि जब एक जगह बेहतर व्यवस्था मरीजों को दी जा सकती है,तो दूसरी जगह पर वही व्यवस्था देने में इतनी दिक्कत क्यों आ रही है।
वहीं इस मामले एक बात और निकल कर सामने आई है कि साफ-साफाई व्यवस्था देखने वाली एजेंसी की अपनी समस्याएं हैं,उसे करीब चार महीनों से भुगतान नहीं हुआ है। जिसकी वजह से वह भी किसी तरह काम चला रही है। अस्पताल के सीएमएस डॉ.जी.पी.गुप्ता ने बताया है कि लावारिस वार्ड में भर्ती मरीज दिमागी रूप से अस्वस्थ हैं। हमलोग इनकी देखभाल बिल्कुल छोटे बच्चों की तरह करते हैं। इसके अलावा कई बार साफ-सफाई करने के बाद तत्काल गंदगी कर देते हैं,इस वजह से कभी-कभार दिक्कत आ जाती है।
Rani Sahu

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