उत्तर प्रदेश

कटान के चलते घाघरा नदी में समा गये 14 मकान, ग्रामीणों में भय का महौल

Rani Sahu
25 Aug 2022 5:29 PM GMT
कटान के चलते घाघरा नदी में समा गये 14 मकान, ग्रामीणों में भय का महौल
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जिले के घाघरा नदी के तट पर बसे मझरा गांव का अस्तित्व धीरे धीरे नदी की धारा में समाहित होता जा रहा है
मोतीपुर/बहराइच। जिले के घाघरा नदी के तट पर बसे मझरा गांव का अस्तित्व धीरे धीरे नदी की धारा में समाहित होता जा रहा है। नदी ने कटान करते हुए 14 ग्रामीणों के मकान को समाहित कर लिया। वहीं 160 बीघा खेती योग्य जमीन भी नदी के धारा की भेंट चढ़ गई है। जिले में इस बार बारिश नहीं हुई है। फिर भी नेपाल से छोड़े जा रहे पानी का असर नदी के किनारे बसे गांवों में देखने को मिल रहा है।
मोतीपुर तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत मझरा में नदी की धारा थपेड़े ले रही है। ग्राम पंचायत के मजरा मेवालाल पुरवा, खैरीगौढ़ी और दोआबा में नदी ने कटान तेज कर दी है। नदी ने कटान करते हुए गांव निवासी मौजीलाल , रमाकांत, रामू पुत्र रघुवीर, गुरुवचन, गोपाल, रिंकू पुत्र गोपाल, हरिश्चंद्र, श्रीपाल, मुनीराम, गुरुदीन, संतोष, सुशील, चुन्नीलाल और पंकज के मकानों को नदी में समाहित कर लिया है।
जबकि नदी की धारा ने 30 से अधिक ग्रामीणों की 160 बीघा खेती योग्य जमीन को भी चपेट में ले लिया। ग्रामीणों के खेत में धान, मक्का और गन्ने की फसल लगी हुई थी। नदी पूरी आगोश में मकानों के साथ खेतों को निगल रही है। ग्रामीण बची गृहस्थी संजोने में लगे हुए हैं। कोई पक्के तो कोई फूस के मकान स्वयं उजड़ रहा है।
अब निशान बचाने के लाले
गांव निवासी श्रीपाल और मुनीराम ने बताया कि घाघरा नदी काफी तेज गति से कटान कर रही है। ऐसे में गांव के बचे खुचे मकान भी कटान में समा रहे हैं। कटान तेज होने से ग्रामीणों को निशान बचाने में लाले पड़ रहे हैं। सभी ने कहा कि इसी तरह कटान होती रही तो जल्द ही पूरी तरह शेष बचे मकान भी समाहित हो जायेंगे।
रिपोर्ट मिलते ही होगी कार्रवाई
तहसीलदार पीयूष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि गांव में कटान होने की सूचना मिली है। लेखपाल से सभी की सूची मांगी गई है। सूची मिलते ही उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी। इसके बाद आगे मुआवजे की कार्रवाई होगी।
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