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राजधानी अगरतला के पास है...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हम यात्रा में हैं . ठीक उस दिन से, जबसे हमने जन्म लिया . हर जीव की यात्रा अलग है, पड़ाव अलग हैं, यात्रा के अंत का समय भी विलग है . हम समस्त जीवन गंतव्य की तलाश, उसकी प्राप्ति और उसके पीछे दौड़ने में समाप्त कर देते हैं, किंतु देखा जाए तो हर यात्रा की मंजिल एक ही तो है, मृत्यु . हां, इस गंतव्य तक पहुंचने से पूर्व, वह जीवन कितना जिया, यह महत्वपूर्ण है .
जैसे मेघ से विलग हुई प्रत्येक बूंद की मंजिल भिन्न होती है . किसी को धरती की क्षुधा को तृप्त करना होता है, कोई वृक्षों की शाखों को जीवन देती है, कोई बूंद किसी तृषित मनुज मन को पल्लवित कर देती है, तो वही कुछ बूंदें छत पर सूखते किसी के परिश्रम को सड़ा भी देती हैं . बूंदों का गिरना और मृत्यु का आना, दोनों अवश्यंभावी है . किंतु जहां, बूंदों का स्वयं पर नियंत्रण नहीं है, वहीं मनुष्य तय कर सकता है कि मिट्टी में समाने से पूर्व, उसे कौन सी बूंद बनना है .
जब १४ वीं शताब्दी में एक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया माणिक्य ने त्रिपुरा की स्थापना की होगी, तब संभवतः उनके मन में भी यह ही चल रहा होगा . उन्होंने हिन्दू धर्म अवश्य अपनाया, किंतु प्रकृति के प्रति अनुराग कभी कम नहीं हुआ . यही कारण है कि आज भी त्रिपुरा का आधे से अधिक भाग जंगलों से घिरा है . आज त्रिपुरा अपनी अनोखी जनजातीय संस्कृति तथा लोककथाओं के साथ खड़ा है .
१९ वीं शताब्दी में महाराजा वीरचन्द्र किशोर माणिक्य बहादुर के शासनकाल में त्रिपुरा में एक नए युग का आरंभ हुआ, किंतु अपनी जड़ों को उन्होंने मजबूती से थामे रखा . जब १९३० में राजा बीर बिक्रम किशोर देबबर्मण ने अपने ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में ‘नीरमहल’ की नींव रखी, तब उनके आंतर में भी प्रकृति के आलिंगन में सोने की भावना रही होगी . तभी उन्होंने इस महल को रुद्रसागर झील के ठीक मध्य में, छ: वर्ग किमी के भूभाग पर बनवाया होगा . यह महल चारों तरफ से हरे-भरे बागीचों से घिरा हुआ है . पानी के बीच में होने के कारण, प्रकृति का प्रेम इस पर पूरे वर्ष बरसता है . अतः यहां पूरे वर्ष रंग-बिरंगे फूल खिले रहते हैं .
उदयपुर के लेक पैलेस की चर्चा तो सम्पूर्ण विश्व में है. कैसी विडंबना है कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य में स्थित इस ‘नीरमहल’ की सुंदरता से, उसके अपने देश के ही असंख्य लोग अनभिज्ञ हैं . यह महल त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से ५३ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मेलाघर शहर में है.
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