त्रिपुरा : राष्ट्रपति चुनाव का एलान, जानें उम्मीदवारी से नियुक्ति तक की पूरी प्रक्रिया
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चुनाव की ये प्रक्रिया कब तक पूरी होगी? राष्ट्रपति चुनाव आम चुनाव से कितना अलग होता है? कौन राष्ट्रपति चुनाव लड़ सकता है? इस चुनाव में कौन वोट डाल सकता है? क्या अलग-अलग वोटर के वोट की वैल्यू भी अलग-अलग होती है? वोट की वैल्यू तय कैसे होती है? आइए जानते हैं…
कब तक पूरी होगी चुनाव की प्रक्रिया?
चुनाव आयोग आज चुनावों का एलान कर सकता है। चुनाव के एलान के एक हफ्ते के भीतर अधिसूचना जारी हो जाएगी। इसके साथ की नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी। नामांकन के लिए करीब दो हफ्ते का वक्त मिलेगा। नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के अगले दिन नामांकन प्रत्रों की जांच होगी। इसके बाद दो से तीन दिन का वक्त नाम वापसी के लिए मिलेगा।
जरूरत होने पर 15 जुलाई के आसपास मतदान होगा। मतदान के दो या तीन दिन बाद नतीजे आ जाएंगे। उम्मीद है कि ये पूरी प्रक्रिया 20 जुलाई तक पूरी हो जाएगी। इसके बाद 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नए राष्ट्रपति को शपथ दिलाएंगे।
25 जुलाई को ही क्यों शपथ लेते हैं नए राष्ट्रपति?
हर पांच साल पर 25 जुलाई को देश को नया राष्ट्रति मिलता है। ये सिलसिला 1977 से चल रहा है। जब उस वक्त के राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद का कार्यकाल के दौरान फरवरी 1977 में निधन हो गया।
राष्ट्रपति के निधन के बाद उप राष्ट्रपति बीडी जत्ती कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। नए राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद नीलम संजीव रेड्डी 25 जुलाई 1977 को राष्ट्रपति बने। इसके बाद से ही हर पांच साल पर 25 जुलाई को राष्ट्रपति चुने जाते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में वोट कौन डालता है?
राष्ट्रपति का चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट डालते हैं। इन सभी के वोट की अहमियत यानी वैल्यू अलग-अलग होती है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है। एक सांसद के वोट की वैल्यू 708 होती है। वहीं, विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होती है।
राष्ट्रपति चुनाव
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोट डालते हैं। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसद ही वोट डाल सकते हैं। 12 मनोनीत सांसद इस चुनाव में वोट नहीं डालते हैं। इसके साथ ही लोकसभा के सभी 543 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेंगे। इनमें आजमगढ़, रामपुर और संगरूर में हो रहे उप चुनाव में जीतने वाले सांसद भी शामिल होंगे।
इसके अलावा सभी राज्यों के कुल 4 हजार 120 विधायक भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे। इस तरह से राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 4 हजार 896 होगी। हालांकि, इनके वोटों की वैल्यू अलग-अलग होगी।
राज्यवार विधायकों के वोट की कितनी अहमियत होती है?
देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू सबसे ज्यादा 208 होती है। वहीं, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु के एक विधायक के वोट की वैल्यू 176 तो महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट की वैल्यू 175 होती है।
बिहार के एक विधायक के वोट की वैल्यू 173 होती है। सबसे कम वैल्यू सिक्किम के विधायकों की होती है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू सात होती है। इसके बाद नंबर अरुणाचल और मिजोरम के विधायकों का आता है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू आठ होती है।