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2018 में चुनावी हार के बाद सीपीआई-एम ने लोगों की इतनी बड़ी भागीदारी के साथ कोई राजनीतिक सभा आयोजित नहीं की थी
त्रिपुरा में विपक्षी माकपा ने गुरुवार को अगरतला शहर की सड़कों पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए स्पष्ट संदेश दिया कि राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव एक आमने सामने की लड़ाई होगी।
2018 में चुनावी हार के बाद सीपीआई-एम ने लोगों की इतनी बड़ी भागीदारी के साथ कोई राजनीतिक सभा आयोजित नहीं की थी। हजारों वामपंथी कार्यकर्ताओं ने लाल झंडे लिए और नारेबाजी करते हुए अगरतला शहर में जोरदार प्रदर्शन किया और उसके बाद में स्वामी विवेकानंद स्टेडियम में इकट्ठा हुए।समारोह में त्रिपुरा के वरिष्ठ माकपा नेताओं के साथ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी और पोलित ब्यूरो सदस्य प्रकाश करात भी शामिल हुए।
येचुरी ने जनसभा को संबोधित करते हुए सत्तारूढ़ भाजपा पर त्रिपुरा के लोकतांत्रिक ढांचे का गला घोंटने का आरोप लगाया और कहा, "त्रिपुरा में 22 माकपा कार्यकर्ता मारे गए। हमारे पार्टी कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई और कई जगहों को जलाकर राख कर दिया गया। उन्हें लगा कि वे डरा-धमकाकर वामपंथियों को बेअसर कर सकते हैं। यह असंभव है। अगर भाजपा को त्रिपुरा में अपनी राजनीतिक ताकत पर इतना भरोसा है, तो मैं उन्हें चुनौती देना चाहता हूं, शांतिपूर्ण चुनाव कराएं। अभियान को किसी भी तरह की हिंसा से मुक्त होने दें और मतदाताओं को स्वतंत्र रूप से अपना जनादेश देने दें। इससे पूरा परिदृश्य साफ हो जाएगा।"
माकपा के वरिष्ठ नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि प्रधानमंत्री इस देश के लाखों लोगों की वास्तविक समस्याओं पर कभी नहीं बोलते।
येचुरी ने दावा किया, "आरएसएस और बीजेपी हिजाब, हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण जैसे विभाजनकारी एजेंडे फैलाने में व्यस्त हैं, जो समृद्ध सामाजिक ताने-बाने और देश की समग्रता के हित के खिलाफ हैं।"
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