त्रिपुरा

तृणमूल ने भाजपा, माकपा, कांग्रेस पर साधा निशाना, कही ऐसी बात

Shiddhant Shriwas
21 Jun 2022 3:35 PM GMT
तृणमूल ने भाजपा, माकपा, कांग्रेस पर साधा निशाना, कही ऐसी बात
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अगरतला। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने रविवार को त्रिपुरा की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस के खिलाफ तीखा हमला करते हुए मतदाताओं से राज्य के चार राज्य विधानसभा क्षेत्रों के आगामी उपचुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों का समर्थन करने की अपील की। तृणमूल नेता और पश्चिम बंगाल के मंत्री डॉ. मानस रंजन भूनिया ने हाई वोल्टेज अभियान के इतर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी त्रिपुरा में भाजपा की आक्रामकता का एकमात्र विकल्प है। श्री भूनिया के साथ पार्टी सचिव और अभिनेत्री से नेता बनी कौशानी मुखर्जी भी थीं।

भूनिया ने कहा, 'हम सभी चार सीटों पर अपने उम्मीदवारों के लिए वोट चाहते हैं क्योंकि राज्य में कदम रखने के दो महीने बाद, पिछले साल के निकाय चुनाव के दौरान टीएमसी को 24 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि कांग्रेस को केवल 1.7 प्रतिशत वोट मिले थे। नगर निकाय चुनाव में माकपा को तीसरे स्थान पर खिसका दिया गया था। लोगों ने महसूस किया है कि माकपा और कांग्रेस को वोट देना बेकार है। उन्होंने आरोप लगाया कि त्रिपुरा में 25 साल के 'कुशासन' के बाद 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने हालांकि, कम्युनिस्टों की जगह ले ली, लेकिन लोग पिछले 51 महीनों से 'घुटन' महसूस कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, 'त्रिपुरा में कोई विकास नहीं हुआ है और यहां तक कि बुनियादी न्यूनतम सुविधाएं भी लंबे समय से नहीं हैं। बीच में, कांग्रेस ने 1988-93 तक शासन किया था। उससे पहले, माकपा सत्ता में थी। लेकिन लोगों की पीड़ा कई गुना बढ़ गई है।' उन्होंने कहा, 'माकपा और कांग्रेस दोनों की आज भारतीय राजनीति में कोई प्रासंगिकता नहीं है। उनके पास भाजपा का मुकाबला करने के लिए कोई नेता, कोई तर्क और कोई आधार नहीं है। हालांकि, 2011 के बाद से तृणमूल प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी देश के सामने भाजपा का विकल्प रही हैं और त्रिपुरा कोई अपवाद नहीं है।'

भूनिया ने कहा, 'ममता बनर्जी ने देश में भाजपा का मुकाबला करने के लिए गैर-भाजपा दलों की एकजुट लड़ाई का आह्वान किया है। अब कांग्रेस और कम्युनिस्टों को अपने भाग्य का फैसला करना है। आज भारत अपनी सबसे बड़ी चुनौती का सामना सिर्फ दो लोगों (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह) के सत्तावादी शासन के कारण कर रहा है। उनकी विचारधारा भारतीय संविधान के सिद्धांतों को विफल करना और अराजकता को जारी रखना है, जो लोग नहीं चाहते हैं।'

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