त्रिपुरा

पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कसा तंज, कहा- 'कुशासन का शासन देखने के बाद भाजपा छोड़ रहे है नेता'

Deepa Sahu
15 Feb 2022 10:48 AM GMT
पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कसा तंज, कहा- कुशासन का शासन देखने के बाद भाजपा छोड़ रहे है नेता
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त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भाजपा पर नए सिरे से हमला करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और माकपा नेता माणिक सरकार ने कहा कि राज्य में 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की प्रचंड जीत सुनिश्चित करने वाले नेताओं ने कुशासन का शासन देखने के बाद पार्टी छोड़ दी।

त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भाजपा पर नए सिरे से हमला करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और माकपा नेता माणिक सरकार ने कहा कि राज्य में 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की प्रचंड जीत सुनिश्चित करने वाले नेताओं ने कुशासन का शासन देखने के बाद पार्टी छोड़ दी। माणिक सरकार ने कहा कि दलबदलू नेताओं ने राज्य के लोगों से माफी मांगी क्योंकि उन्हें अपनी गलतियों का एहसास हो गया है।

माणिक सरकार ने कहा, "कांग्रेस का लगभग 40 प्रतिशत वोट शेयर भाजपा के पक्ष में गया। 2018 के चुनावों से पहले भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं को शक्तिशाली मंत्री पद मिला, जबकि अन्य पहली बार विधायक बने। लेकिन अभी क्या स्थिति है। वे अपनी गलतियों के लिए जनता से माफी मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि यही भाजपा की वास्तविकता है"।
माणिक सरकार भाजपा के पूर्व विधायकों - सुदीप रॉय बर्मन और आशीष साहा के दलबदल पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिन्होंने हाल ही में भगवा पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। सरकार ने लोगों से सड़कों पर उतरने और अपना विरोध व्यक्त करने का आह्वान किया।
आपको बता दें कि त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री सोमवार को बेलोनिया में माकपा नेता बेनू बिस्वास के परिवार से मिलने गए थे, जिनकी कथित तौर पर "भाजपा समर्थित गुंडों" द्वारा हत्या कर दी गई थी। माणिक सरकार ने "हत्या के मामले" की जांच में त्रिपुरा पुलिस द्वारा निभाई गई भूमिका की भी निंदा की। उन्होंने आरोप लगाया कि त्रिपुरा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों की "अप्रत्यक्ष रूप से मदद" कर रहे हैं, जो कथित तौर पर माकपा नेता की हत्या में शामिल थे। हम इसकी निंदा करते हैं। उन्होंने अमानवीयता और बर्बरता की एक नई मिसाल कायम की है।'
बेनू विश्वास के भतीजे ने हमें पूरी घटना सुनाई। हमने उनकी पत्नी से भी बात की। इससे पहले भी बेनू को राजनीतिक असहिष्णुता का खामियाजा भुगतना पड़ा था। कुछ दिन पहले मृतक नेता के बड़े भाई पर भी हमला किया गया था।


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