त्रिपुरा

त्रिपुरा हिंसा पर डीजीपी बोले- 'सबूत होने पर ही सोशल मीडिया पोस्ट पर UAPA के तहत होगी कार्रवाई'

Kunti Dhruw
27 Nov 2021 3:37 PM GMT
त्रिपुरा हिंसा पर डीजीपी बोले- सबूत होने पर ही सोशल मीडिया पोस्ट पर UAPA के तहत होगी कार्रवाई
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त्रिपुरा के डीजीपी वीएस यादव (Tripura DGP VS Yadav) ने शनिवार को कहा कि सीएम ने निर्देश दिया है कि पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन में दर्ज ऐसे मामलों पर यूएपीए (UAPA) प्रावधानों की समीक्षा की जाए.

त्रिपुरा के डीजीपी वीएस यादव (Tripura DGP VS Yadav) ने शनिवार को कहा कि सीएम ने निर्देश दिया है कि पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन में दर्ज ऐसे मामलों पर यूएपीए (UAPA) प्रावधानों की समीक्षा की जाए. वहीं कहा कि हमने 102 सोशल मीडिया पोस्ट (Social Media Post) को शामिल किया था और इसका मतलब ये नहीं है कि सभी पर यूएपीए लगाया जाएगा. ये केवल सबूत होने पर ही लगाया जाएगा. मैं व्यक्तिगत रूप से इस मामले की निगरानी कर रहा हूं. साथ ही कहा कि इन पोस्ट पर यूएपीए के तहत कार्रवाई तभी की जाएगी जब सबूत होंगे.

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हमने एक मामला उठाया था, जिसमें हमने आईपीसी के साथ यूएपीए भी लगाया था. साथ ही कहा कि हमें ये भी पता चला था कि वायरल तस्वीरों और वीडियो के पीछे पाकिस्तान से जुड़े एक प्रतिबंधित संगठन का भी हाथ है. उन्होंने आगे कहा कि चूंकि ये एक प्रतिबंधित संगठन था इसलिए यूएपीए लागू करना जरूरी था. 'बांग्लादेश में हिंसक घटनाओं के बाद त्रिपुरा में कुछ घटनाएं हुईं'

त्रिपुरा के डीजीपी ने कहा कि बांग्लादेश में हिंसक घटनाओं के बाद त्रिपुरा में कुछ घटनाएं हुईं. यहां स्थिति सामान्य थी, लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से फर्जी वीडियो और तस्वीरों की मदद से संदेश फैलाया जा रहा था कि त्रिपुरा में मस्जिदों में आग लगा दी गई और लोग मारे गए, ये झूठ था.
क्या है UAPA?
UAPA का मतलब है Unlawful Activities (Prevention) Act, जिसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम. इस कानून का मुख्य उद्देश्य आतंकी गतिविधियों को रोकना होता है. इस कानून के तहत उन लोगों को चिह्नित किया जाता है, जो आतंकी ग​तिविधियों में शामिल होते हैं या जिन पर फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप होता है. ये कानून पहले से काफी मजबूत था और उसे 2019 में संशोधित कर इसे ज्यादा मजबूत कर दिया गया है.
यूएपीए कानून 1967 में लाया गया था. इस कानून को संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत दी गई बुनियादी आजादी पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के लिए लाया गया था. पिछले कुछ सालों में आतंकी गतिविधियों से संबंधी POTA और TADA जैसे कानून खत्म कर दिए गए, लेकिन UAPA कानून अब भी मौजूद है और पहले से ज्यादा मजबूत है. अगस्त 2019 में ही इसका संशोधन बिल संसद में पास हुआ था.
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