बार काउंसिल ने सेवानिवृत्त जजों के खिलाफ रिजिजू की टिप्पणी की निंदा की, माफी की मांग
अगरतला न्यूज: त्रिपुरा बार काउंसिल ने गुरुवार को केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा कथित रूप से कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को भारत विरोधी बताने वाली टिप्पणी की निंदा की और दावा किया कि यह न्यायपालिका में हस्तक्षेप करने का सरकार का प्रयास है। वयोवृद्ध वकील और त्रिपुरा बार काउंसिल के अध्यक्ष पुरुषोत्तम रे बर्मन ने कहा कि रिजिजू द्वारा की गई टिप्पणी अपमानजनक है, क्योंकि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को भारत विरोधी करार दिया है। 18 मार्च को एक कॉन्क्लेव में रिजिजू ने दावा किया था कि कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीश और कुछ सामाजिक कार्यकर्ता जो भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं भारतीय न्यायपालिका को विपक्षी दल की भूमिका में लाने की कोशिश कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने कथित तौर पर चेतावनी दी कि देश के खिलाफ काम करने वालों को कीमत चुकानी होगी।
मीडिया से बात करते हुए रे बर्मन ने कहा कि केंद्र पूर्व जजों को सरकार के फैसलों के खिलाफ बोलने से रोककर न्यायपालिका पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह उन न्यायाधीशों के लिए खतरे की तरह है, जिन्होंने सरकार के सामने झुकने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पूरे देश में तानाशाही शासन बना रही है। बार काउंसिल के अध्यक्ष ने कहा, केंद्र भारतीय न्यायपालिका सहित सभी लोकतांत्रिक संस्थानों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। सरकार चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट और पूरी न्यायपालिकाउसके अंगूठे के नीचे हो, जिसका प्रमाण उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के हालिया भाषण में स्पष्ट हो गया है। रे बर्मन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और कॉलेजियम के अन्य सदस्यों को पत्र लिखकर त्रिपुरा उच्च न्यायालय के स्थायी मुख्य न्यायाधीश को नियुक्त करने और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरने का अनुरोध किया है।