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जिनके पास था नाव पार लगाने का जिम्मा वही कर रहे पार्टी का बेड़ा गर्क

Teja
13 April 2023 6:24 AM GMT
जिनके पास था नाव पार लगाने का जिम्मा वही कर रहे पार्टी का बेड़ा गर्क
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कांग्रेस : कांग्रेस कभी एक राष्ट्रीय पार्टी हुआ करती थी। अब सवाल यह उठने लगा है कि कांग्रेस राजनीतिक दल कब तक रहेगी या फिर कहें कि कब तक रहने दी जाएगी। पार्टी की हालत बंद गली के उस आखिरी मकान की तरह हो गई है जो ‘शिकमी किराएदार’ के कब्जे में है। यहां तो हालत और खराब है कि जिसे किराएदार समझ रहे थे, वह अपना पुश्तैनी हक बता रहा है। कांग्रेस पार्टी में यह राहुल गांधी का युग चल रहा है। यहां बिना मुकदमे के सिर्फ फैसले सुनाए जाते हैं, जिनके खिलाफ अपील की कोई की व्यवस्था नहीं है। एक समय देश में इमरजेंसी लगी थी, आज कांग्रेस में लगी है। तो अपील, दलील और वकील कुछ नहीं चलता।

फिल्म ‘अमर प्रेम’ के एक गीत की पंक्तियां हैं-‘मझधार में नैया डोले तो माझी पार लगाए, माझी जो नाव डुबोए उसे कौन पार लगाए।’ कांग्रेस का इस समय यही हाल है। जिस गांधी परिवार पर कांग्रेस की नाव को पार लगाने का जिम्मा था, वही पार्टी का बेड़ा गर्क कर रहे हैं। यह बात कोई भाजपा नेता नहीं, बल्कि कांग्रेसी नेता बोल रहे हैं। 50 साल तक कांग्रेस में रहे गुलाम नबी आजाद का कहना है कि आज की कांग्रेस में रहने की शर्त है कि आपकी रीढ़ की हड्डी नहीं होनी चाहिए। पार्टी में जो फैसला लेता है, उसके पास पद नहीं है और जिसके पास पद है, वह फैसला लेने की हैसियत नहीं रखता। जब सोनिया गांधी का फैसला पलट दिया जाता है तो मल्लिकार्जुन खरगे की क्या हैसियत है।

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