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संस्कृत के अखबार निकाल रहा ये मुस्लिम कारोबारी

Soni
21 Feb 2022 11:23 AM GMT
संस्कृत के अखबार निकाल रहा ये मुस्लिम कारोबारी
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देश में कई जगह जहां भाषा के नाम पर विवाद देखने को मिल जाते हैं. वहीं गुजरात में एक मुस्लिम व्यापारी पिछले 11 सालों से देश की सबसे पुरानी भाषा संस्कृत को बचाने की जद्दोजहद में लगा है | गुजरात की दाऊदी बोहरा कम्युनिटी से जुड़े मुर्तुजा खंभातवाला (41) (Murtuza Khambhatwala) डायमंड सिटी कहे जाने वाले सूरत में अपना पब्लिशिंग हाउस चलाते हैं. वे पिछले 11 साल से रोजाना संस्कृत भाषा का अखबार (Sanskrit Newspaper) विश्वस्य वृतांत (Vishvasya Vartant) निकाल रहे हैं. खंभातवाला ने इसे डीसी भट्ट के साथ साझेदारी में शुरू किया था. बाद में भट्ट ने इसमें अपनी पार्टनरशिप खत्म कर दी, जिसके बाद वे इस अखबार के एकमात्र मालिक बन गए | मुर्तुजा खंभातवाला (Murtuza Khambhatwala) कहते हैं, शुरुआत से ही संस्कृत का अखबार (Sanskrit Newspaper) निकालना मेरे लिए चुनौतीपूर्ण रहा. कुछ सरकारी विज्ञापनों के कारण, यह शुरुआती कुछ वर्षों तक जीवित रहा. बाद में यह मेरे लिए एक जुनून बन गया. इसके अखबार को जीवित रखने के लिए अब मैं हर महीने अपनी जेब से पैसे खर्च करता हूं | खंभातवाला ने कहा कि चूंकि अखबार निकालने का खर्च बहुत ज्यादा आता है. इसलिए वे अब केवल ऑर्डर वाली गिनी-चुनी कॉपियां निकालते हैं. इसके बजाय अब उन्होंने एक वेबसाइट शुरू की है, जहां पर संस्कृत भाषा को पढ़ने और सीखने का सारा कंटेंट दिया गया है. वहां पर खबरों से जुड़ी अपडेटिड जानकारियां भी होती हैं. यह वेबसाइट सबके लिए ओपन और एकदम फ्री है | मुर्तुजा खंभातवाला (Murtuza Khambhatwala) कहते हैं कि उनका संस्कृत अखबार (Sanskrit Newspaper) न केवल गुजरात का बल्कि देश का इकलौता अखबार है, जो भारत की सबसे पुरानी भाषा में लोगों को न्यूज देता है. वेबसाइट का निर्माण केवल इसलिए किया गया, जिससे विदेशी नागरिक भी भारत की इस प्राचीन भाषा से जुड़ सकें. साथ ही देश में भी संस्कृत का प्रसार हो सके | खंभातवाला बताते हैं कि संस्कृत अखबार (Sanskrit Newspaper) का खर्च निकालने के लिए वे हर महीने अपने रिश्तेदारों से चंदा इकट्ठा करते हैं. वे कहते हैं कि उनका संस्कृत अखबार एक ऐसी यूनीक प्रॉपर्टी है, जिसका कोई मोल नहीं है. उन्होंने कहा कि अभी तक तो उन्हें गुजरात सरकार से कोई मदद नहीं मिली है लेकिन उम्मीद है कि एक दिन वह भी उनके प्रयासों का समर्थन करेगी |

उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा हिंदी, गुजराती, मराठी, बांग्ला, मलयालम समेत कई भाषाओं की जननी (International Mother Language Day) रही है और इसे बचाने के लिए सभी को अपने-अपने स्तर पर कोशिश करनी ही चाहिए. मुर्तुजा के प्रयासों की सराहना करते हुए गुजरात राज्य संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष जयशंकर रावल कहते हैं, 'खंभातवाला संस्कृत भाषा को प्यार करते हैं. इस भाषा को बचाने के लिए उनका समर्पण और प्यार देखने लायक है | रावल ने कहा कि हमने खंभातवाला को उनके प्रयासों और संस्कृत के संरक्षण के लिए उनके प्रयासों की सराहना करते हुए सम्मानित किया है. राज्य में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही संस्कृत भारती के आयोजन सचिव हिमंजय पालीवाल कहते हैं कि लोगों में अपनी महान भाषा संस्कृत के बारे में ज्यादा जागरूरकता नहीं है. ऐसे हालात में बिना किसी संसाधनों का रोजाना संस्कृत भाषा का अखबार (Sanskrit Newspaper) निकालना बहुत मुश्किल काम है |

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