मणिपुर : मणिपुर हिंसा का मामला लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव तक पहुंचने के बाद न सिर्फ संसद के अंदर बल्कि बाहर भी सरकार और विपक्ष के बीच चल रही खींचतान तेज होती जा रही है. अविश्वास प्रस्ताव पर बहस और वोटिंग से पहले संसद के दोनों सदनों में हंगामे के बीच बिना चर्चा के बिल पारित करने पर विपक्षी गठबंधन ने आपत्ति जताते हुए संसदीय नियमों और परंपराओं को तोड़ने का आरोप लगाया है. जब तक लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक विधेयक पारित नहीं होने चाहिए. आपत्ति को खारिज करते हुए सरकार ने कहा कि उसके पास पर्याप्त बहुमत है और विपक्ष को चुनौती दी कि अगर उसके पास ताकत है तो वह इस विधेयक को सदन में हराये। इस मुद्दे पर लगातार छठे दिन संसद के दोनों सदनों में हंगामा जारी रहा और कार्यवाही बाधित रही. राज्यसभा में नियम 267 के तहत मणिपुर पर चर्चा को लेकर तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन और सभापति जगदीप धनखड़ के बीच तीखी बहस भी हुई। लोकसभा में शुक्रवार को कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 1978 में जब अविश्वास प्रस्ताव आया था तो तुरंत बहस शुरू हो गई थी. आरएसपी नेता एनके प्रेमचंद्रन ने भी अविश्वास प्रस्ताव के निपटारे से पहले बिल के पारित होने का विरोध करते हुए कुछ नियमों और विनियमों का हवाला दिया। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन में अधीर पर पलटवार करते हुए उनकी आपत्ति को खारिज कर दिया और कहा कि हमारे पास संख्या बल है. अगर उन्हें अब भी आपत्ति है तो अपनी ताकत से सदन में विधेयकों को हरायें. राजनीतिक खींचतान के बीच लोकसभा की कार्यवाही दोपहर में सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।