छात्रा : छात्रा श्रेया तिवारी आत्महत्या मामले में जेल भेजे गए स्कूल प्रिंसिपल और स्कूल टीचर की जमानत पर रिहाई के बाद छात्रा की मां नीतू तिवारी ने कहा कि नए विवेचक की जांच रिपोर्ट हमें तड़प-तड़पकर मरने को मजबूर करने के लिए काफी है। मुझे मार दिया जाय, कुचल दिया जाय, आवाज को दबा दिया जाए। हमें जिस न्याय व्यवस्था पर पक्का भरोसा था आज पुलिस की जांच रिपोर्ट देख हमारे भरोसे को कुचल दिया। न्होंने कहा, लोग कहते थे कि पुलिस के दिल में संवेदना नाम की कोई चीज नहीं होती, उनके लिए पैसा सर्वोपरि है आज यह साबित हो गया। पुलिस सबको एक तराजू पर तौलती है फिर भी हमें विश्वास था कि हमें न्याय मिलेगा, लेकिन वह तो दूर उल्टे हमारी दिवंगत बेटी श्रेया को जांच अधिकारी ने गलत ठहरा दिया। हमारी मांग तो यही थी कि स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरे और प्रिंसिपल व क्लास टीचर के कृत्यों की जांच कर सच्चाई सामने लाई जाए, लेकिन पुलिस जांच में तो मेरी बेटी को ही दोषी करार दिया गया है। जिस तरह से मेरी बेटी के चरित्र पर सवाल उठा दिया गया इसका दर्द हमारा परिवार आजीवन भूल नहीं पाएगा। मृत छात्रा श्रेया तिवारी के पिता ऋतुराज तिवारी ने कहा, होनहार बेटी की मौत ने तो पहले ही हमें विक्षिप्त कर दिया था, लेकिन इस मामले में एसपी की कार्रवाई से हमें राहत जरूर महसूस हुई। एक ईमानदार अधिकारी द्वारा कराई जा रही जांच को वापस लेकर गैर जनपद में तैनात क्षेत्राधिकारी को सौंप दिए जाने की जानकारी पाते ही हमें यह एहसास हो गया था कि इस मामले में खेल शुरू हो गया है। हुआ भी वही जिसका अंदेशा था। घटना की जांच जिस अधिकारी को सौंपी गई थी उनका जिले में आना और एक ही दिन में सभी पक्षों का बयान दर्ज कर आरोपितों को निर्दोष साबित कर देना न्याय प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है।इसका दर्द हमारा परिवार आजीवन भूल नहीं पाएगा। मृत छात्रा श्रेया तिवारी के पिता ऋतुराज तिवारी ने कहा, होनहार बेटी की मौत ने तो पहले ही हमें विक्षिप्त कर दिया था, लेकिन इस मामले में एसपी की कार्रवाई से हमें राहत जरूर महसूस हुई। एक ईमानदार अधिकारी द्वारा कराई जा रही जांच को वापस लेकर गैर जनपद में तैनात क्षेत्राधिकारी को सौंप दिए जाने की जानकारी पाते ही हमें यह एहसास हो गया था कि इस मामले में खेल शुरू हो गया है। हुआ भी वही जिसका अंदेशा था। घटना की जांच जिस अधिकारी को सौंपी गई थी उनका जिले में आना और एक ही दिन में सभी पक्षों का बयान दर्ज कर आरोपितों को निर्दोष साबित कर देना न्याय प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है।