तेलंगाना

रक्षाबंधन की सच्ची भावना, अंगदान करने से भी पीछे नहीं हटे भाई-बहन

Rani Sahu
30 Aug 2023 7:33 AM GMT
रक्षाबंधन की सच्ची भावना, अंगदान करने से भी पीछे नहीं हटे भाई-बहन
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हैदराबाद (आईएएनएस)। रक्षा बंधन के पवित्र त्योहार पर बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं, उनकी भलाई और समृद्धि की कामना करती हैं। जरुरत पड़ने पर वह डटकर आगे खड़ी होती है। फिर चाहे अंगदान देने जैसा बड़ा फैसला ही क्यों न हो।
विशाखापत्तनम में 35 वर्षीय गणेश किडनी डैमेज और डायलिसिस जैसी बीमारी से जूझ रहे है। उनका इलाज विशाखापत्तनम के केआईएमएस-आइकॉन अस्पताल में चल रहा है। ऐसे कठिन समय में उनकी 43 वर्षीय बड़ी बहन चंद्रावती ने किडनी डोनेट कर उन्हें एक नया जीवनदान दिया है।
इसी तरह के एक और मामले में, रायदुर्गम के 35 वर्षीय वीडियो एडिटर वीरभद्र को अपनी 26 साल की छोटी बहन गौथम्मा में उम्मीद मिली। उनकी दाहिनी किडनी गंभीर रूप से डैमेज होने के कारण, वीरभद्र की छोटी बहन ने आगे बढ़कर अनंतपुर के केआईएमएस-सवेरा अस्पताल में अपनी किडनी दान कर दी।
हैदराबाद की 43 वर्षीय बुटीक मालकिन शीतल भंडारी को किडनी की गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा। उनके छोटे भाई, 37 वर्ष के दुष्यन्त ने डर के बावजूद हैदराबाद के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी में अपनी किडनी दान की। उनकी कहानी रक्षाबंधन त्योहार के सार का प्रतिध्वनित करती है।
वहीं, सिक्किम के 60 वर्षीय निजी कर्मचारी अजित शर्मा ने अपनी छोटी बहन रमादेवी, जिनकी उम्र 56 वर्ष है, को सिकंदराबाद के केआईएमेएस अस्पताल के डॉक्टरों की मदद से किडनी दान कर जान बचाई।
ये मामले इस बात पर जोर देती हैं कि राखी का सार पारंपरिक रीति-रिवाजों से परे है, यह दर्शाता है कि भाई-बहन एक-दूसरे की भलाई की रक्षा के लिए किस हद तक जाने को तैयार हैं। ये प्रेम, त्याग और एकता की स्थायी भावना को रेखांकित करती हैं जो वास्तव में रक्षा बंधन को परिभाषित करती है।
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