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नई दिल्ली, (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को तेलंगाना सरकार द्वारा दायर उस याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया, जिसमें राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को विधानसभा द्वारा पारित दस विधेयकों को मंजूरी देने का निर्देश देने की मांग की गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए कहा कि कई बिल अटके हुए हैं, तत्काल लिस्टिंग की जाए। संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद पीठ मामले को 20 मार्च के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गई।
तेलंगाना सरकार ने इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल को निर्देश देने की मांग की थी। राज्य सरकार ने एक रिट याचिका में सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया है कि राजभवन में 10 बिल लंबित हैं। जबकि सात बिल सितंबर 2022 से लंबित हैं, तीन बिल राज्यपाल को उनकी मंजूरी के लिए पिछले महीने भेजे गए थे। इस मामले में राज्यपाल के सचिव और केंद्रीय कानून मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया गया है।
दलील में कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद 200 राज्यपाल को या तो राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक पर सहमति देने या उस पर सहमति वापस लेने या राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक को आरक्षित करने का अधिकार देता है और इस शक्ति का प्रयोग 'जल्द से जल्द' किया जाना संभव है।
यह दूसरी बार है, जब भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
सरकार ने पिछले महीने 2023-24 के लिए राज्य के बजट को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल को निर्देश देने की मांग के साथ तेलंगाना हाईकोर्ट का रुख किया था। हालांकि कोर्ट ने सुझाव दिया था कि दोनों पक्ष इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लें।
--आईएएनएस
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Rani Sahu
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