तेलंगाना

तेलंगाना में ईडी का ग्रेनाइट फर्मों पर छापा, जब्त किए 1.08 करोड़ रुपये

Rani Sahu
11 Nov 2022 2:30 PM GMT
तेलंगाना में ईडी का ग्रेनाइट फर्मों पर छापा, जब्त किए 1.08 करोड़ रुपये
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हैदराबाद,। प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement) ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (Foreign Exchange Management Act) उल्लंघन मामलों का पता लगाने और उपलब्ध साक्ष्यों की जांच करने के लिए नौ और 10 नवंबर को करीमनगर और हैदराबाद में ग्रेनाईट फर्मों के कार्यालयों और परिसरों में छापा मारा है। ईडी ने मेसर्स श्वेता ग्रेनाइट्स, श्वेता एजेंसीज, श्री वेंकटेश्वर ग्रेनाइट्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स पीएसआर ग्रेनाइट्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स अरविंद ग्रेनाइट्स, मेसर्स गिरिराज शिपिंग एजेंसीज प्राइवेट लिमिटेड और उनसे संबंधित संस्थाओं के कार्यालयों और आवासीय परिसरों में छापेमारी की। शुक्रवार को जारी एक बयान के अनुसार उपरोक्त संस्थाएं चीन, हांगकांग और अन्य देशों को कच्चे ग्रेनाइट निर्यात करती हैं। पूछताछ के दौरान यह पता चला कि निर्यात की गई मात्रा उस मात्रा से अधिक थी जिस पर रॉयल्टी (royalty) का भुगतान किया गया था और निर्यात करते समय इसकी मात्रा कम दर्शायी गयी थी। कई मामलों में निर्यात से प्राप्त आय घोषित संबंधित बैंक खाते में नहीं पहुंची, जिससे यह संकेत मिलते हैं कि निर्यात से प्राप्त आय बैंकिंग माध्यमों के अलावा अन्य माध्यमों से प्राप्त की गयी है। एजेंसी ने कहा कि उसने निर्यात के बदले हवाला में कथित रूप से प्राप्त 1.08 करोड़ रुपये नकद जब्त किए हैं, इसके अलावा खदानों से 10 साल के ग्रेनाइट निर्यात के भी आंकड़े निकाले हैं। ग्रेनाइट निर्यातकों के कर्मचारियों के नाम से कई बेनामी बैंक खाते थे, जिनमें अवैध ग्रेनाइट निर्यात के बदले प्राप्त नकद जमा किया जा रहा था। छापेमारी के दौरान यह भी पता चला कि चीनी संस्थाओं से भारतीय संस्थाओं को बिना किसी दस्तावेज के नगद कर्ज के रूप में पैसा भेजा गया था। इन चीनी संस्थाओं का स्वामित्व ली वेनहुओ के पास है, जिसका नाम पनामा लीक में भी सामने आ चुका है। राज्य सरकार के सतर्कता एवं प्रवर्तन विभाग की रिपोर्ट के आधार पर ईडी ने अवैध ग्रेनाइट खनन और फेमा उल्लंघनों की जांच शुरू की, जहां रेलवे ने करीमनगर जिले के खदान क्षेत्र से समुद्री बंदरगाहों तक पहुंचे ग्रेनाइट ब्लॉकों पर बड़े पैमाने पर कर चोरी का पता लगाया और चोरी की गई रॉयल्टी की मांग की, लेकिन निर्यातकों ने उसका भुगतान नहीं किया। इस मामले में जांच चल रही है।

Source : Uni India

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