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Hyderabad,हैदराबाद: लंबे समय तक और कई सालों तक साड़ी पहनने वाली महिलाओं और धोती पहनने वाले पुरुषों को साड़ी कैंसर/पेटीकोट कैंसर/धोती कैंसर के बारे में पता होना चाहिए। पिछले कई सालों में हुए कई मामलों का जिक्र करते हुए हैदराबाद के न्यूरोसर्जन और पब्लिक हेल्थ स्पीकर डॉ. सुधीर कुमार (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर @hyderabaddoctor) ने कहा कि कमर के चारों ओर बंधी एक टाइट डोरी (पेटीकोट, धोती) अक्सर क्रॉनिक फ्रिक्शन और मैक्रेशन से संबंधित डीमैटोसिस का कारण बनती है, जिसके परिणामस्वरूप डर्मेटाइटिस और डी-पिग्मेंटेशन होता है और दुर्लभ मामलों में कार्सिनोमा होता है।
साड़ी और पेटीकोट, जिसे साड़ी के नीचे पहना जाता है ताकि परिधान को सहारा और आकार दिया जा सके, कमर के चारों ओर एक मोटी डोरी से कसकर लपेटा जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि पेटीकोट की एक ही जगह पर टाइट गाँठ, पसीना, गंदगी और लगातार इस्तेमाल से रंजकता, कमर पर स्केलिंग और यहां तक कि घातक बीमारी भी हो सकती है। टाइट गाँठ के कारण, 50 वर्षीय महिला मरीज को खुजली होने लगी और बाद में यह कमर पर एक गैर-ठीक होने वाले अल्सरेटिव घाव में बदल गई, जिसका इलाज कराना पड़ा। डर्मेटोलॉजी रिपोर्ट्स में प्रकाशित शोध में डॉक्टरों ने कहा, "वह 34 साल तक लगातार एक ही जगह पर गाँठ के साथ साड़ी पहनती रही। डायग्नोस्टिक टेस्ट में लिम्फ नोड मेटास्टेसिस के साथ अल्सरेटिव ग्रोथ का पता चला।"
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Payal
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