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असदुद्दीन ओवैसी ने गृहमंत्री अमित शाह और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव से हैदराबाद रियासत के भारत में विलय के दिन को 'नेशनल इंटीग्रेशन डे' के तौर पर मनाने का आग्रह किया है. बीजेपी ने इस दिन को 'लिबरेशन डे' के तौर पर मनाने का प्रस्ताव किया है, जिसके जवाब में असदुद्दीन ओवैसी ने दोनों नेताओं को एक पत्र लिखकर अपनी मांग रखी है. असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद से सांसद हैं और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख हैं.
औपनिवेशिक और सामंती राज का अंत हुआ
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने पत्र में लिखा है- हम सब जानते हैं कि 17 सितंबर वह तारीख है, जब हैदराबाद रियासत भारत के संघ में शामिल हुई थी. इसी तारीख को यहां के लोगों के लिए अंग्रेजों के अप्रत्यक्ष औपनिवेशिक और सामंती राज का अंत हुआ. ऐसे में मेरा तेलंगाना सरकार से अनुरोध है कि वो इस दिन को 'नेशनल इंटीग्रेशन डे' के तौर पर सेलिब्रेट करे. ये उत्सव यहां के लोगों के अधिनायकवादी निजाम के शासन और अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष का जश्न होना चाहिए.
हिन्दू-मुसलमानों का साझा प्रयास
इस जश्न में 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के नायक मौलवी अलाउद्दीन और पत्रकार तुर्रेबाज खान को भी पहचान दी जानी चाहिए. हैदराबाद रियासत को भारत का हिस्सा बनाने में मुसलमानों और हिंदुओं के साझा प्रयासों ने काम किया. ये बात सुंदरलाल कमेटी की रिपोर्ट में भी सामने आती है.
यूनिवर्सिटी वीमेंस कॉलेज में हो जश्न
असदुद्दीन ओवैसी ने इस दिन का जश्न यूनिवर्सिटी वीमेंस कॉलेज, कोटी में मनाने का प्रस्ताव रखा है. एक जमाने में ये इमारत ब्रिटिश रेजीडेंसी होती थी. यहीं पर मौलवी अलाउद्दीन और तुर्रेबाज खान ने 1857 में अंग्रेजों पर बड़ा हमला किया था. मौलवी अलाउद्दीन अंडमान की जेल में काला पानी की सजा पाने वाले पहले कैदी थे, वहीं तुर्रेबाज खान 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में शहीद होने वाले शुरुआती लोगों में से एक थे.
'हैदराबाद लिबरेशन डे' पर छिड़ी सियासत के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमने देखा कि राज्य सरकार इसे लेकर कितना झिझक रही है, लेकिन हमारी पार्टी बार-बार इसकी मांग करती रही है.
वैसे आपको बताते चलें, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन भी 17 सितंबर को होता है. उनका जन्म 17 सितंबर 1950 को हुआ था.
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