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लर्निंग डिसेबिलिटी की पहचान-निदान के लिए शिक्षकों को मिलेगा प्रशिक्षण

25 Dec 2023 5:49 AM GMT
लर्निंग डिसेबिलिटी की पहचान-निदान के लिए शिक्षकों को मिलेगा प्रशिक्षण
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कुल्लू। हिमाचल में तीन फीसदी बच्चे लर्निंग डिसेबिलिटी से जूझ रहे हैं। ऐसे में कई और सैकड़ों बच्चे ऐसे भी हैं, जिनकी आज तक प्रारंभिक दृष्टि में पहचान नहीं हो पाई है। जिसका खामियाजा बच्चों को आगे चलकर यौवन अवस्था में दिव्यांगता से ग्रस्त होकर चुकता करना पड़ रहा है। इस बात को मद्देनजर रखते हुए …

कुल्लू। हिमाचल में तीन फीसदी बच्चे लर्निंग डिसेबिलिटी से जूझ रहे हैं। ऐसे में कई और सैकड़ों बच्चे ऐसे भी हैं, जिनकी आज तक प्रारंभिक दृष्टि में पहचान नहीं हो पाई है। जिसका खामियाजा बच्चों को आगे चलकर यौवन अवस्था में दिव्यांगता से ग्रस्त होकर चुकता करना पड़ रहा है। इस बात को मद्देनजर रखते हुए भारत सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश में हाल ही में विशिष्ट अधिगम अक्षमताओं की पहचान व निदान के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए प्रदेश के 12 जिलों से 10-10 शिक्षकों को टें्रड किया जा रहा है, कुल मिलाकर 120 मास्टर ट्रेनर तैयार किए हैं। प्रदेश स्तर पर आयोजित कार्यशालाओं में पहले मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए हैं, जो कि आगे चलकर इन दिनों में प्रदेश की तीन जगहों में जाकर चार-चार जिलों से 10-10 शिक्षकों को तीन दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।

जो आगे चलकर स्रोत व्यक्ति के रूप में क्लस्टर स्तर पर जाकर अपने अपने जिलों के अन्य शिक्षकों को भी लर्निंग डिसेबिलिटी के बारे में प्रशिक्षित करेंगे। अगर बात कुल्लू जिला की करें, तो यहां पर समग्र शिक्षा अभियान के तहत अटल सदन में डाइट कुल्लू के तत्त्वावधान में लर्निंग डिसेबिलिटी पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया, जिसमें कुल्लू, मंडी, बिलासपुर, लाहुल-स्पीति सहित चार जिलों से करीब 40 स्रोत व्यक्ति तैयार किए गए, जो कि आगे चलकर स्कूलों में क्लस्टर और खंड स्तर पर शिक्षकों को विशेष बच्चों के लिए प्रदान करवाई जा रही विभिन्न प्रकार की सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और पढऩे-लिखने में पेश आ रही दिक्कतों के समाधान के लिए कार्य करेंगे। उधर, डाइट कुल्लू के जिला समन्वयक कुलदीप शर्मा ने बताया कि इस तरह का प्रशिक्षण शिविर प्रदेश में पहली बार आयोजित किया जा रहा है, जो कि हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में प्रशिक्षण के माध्यम से मास्टर ट्रेनर तैयार किया जा रहे हैं, जिसमें कुल्लू कांगड़ा और सोलन में स्थान चिन्हित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर प्रारंभिक चरण में ही बच्चों में इस तरह की लर्निंग डिसेबिलिटी का पता चल जाता है, तो उसका समाधान किया जा सकता है।

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