तमिलनाडू

Tata Trust की रिपोर्ट: तमिलनाडु और कर्नाटक की जेलों में सबसे अधिक सुधार, यूपी के जेलों की स्थिति खराब

Kunti Dhruw
8 Feb 2022 6:56 PM GMT
Tata Trust की रिपोर्ट: तमिलनाडु और कर्नाटक की जेलों में सबसे अधिक सुधार, यूपी के जेलों की स्थिति खराब
x
टाटा ट्रस्ट (Tata Trust) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु (Tamil Nadu) और कर्नाटक में दिसंबर 2019 के बाद से जेल प्रशासन (Jail administration) में सबसे ज्यादा सुधार हुआ है.

टाटा ट्रस्ट (Tata Trust) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु (Tamil Nadu) और कर्नाटक में दिसंबर 2019 के बाद से जेल प्रशासन (Jail administration) में सबसे ज्यादा सुधार हुआ है. जबकि उत्तर प्रदेश में सबसे कम सुधार हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में तीन में से एक स्टाफ पद खाली था और राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक 613 कैदियों के लिए एक चिकित्सा अधिकारी था. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आईजेआर) 2020 न्याय प्रदान करने के चार स्तंभों – पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता पर विभिन्न सरकारी संस्थाओं के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश राज्यों ने दिसंबर 2019 के बाद से जेल प्रशासन के मामले में कुछ न कुछ जरूर सुधार किये हैं, लेकिन तमिलनाडु और कर्नाटक में सबसे अधिक सुधार नजर आया है. दोनों राज्यों ने 14 में से 12 जेल संकेतकों में सुधार दर्ज किया है. उत्तर प्रदेश में सबसे कम सुधार हुआ है.
जेलों में होते रहती है कैदियों की हिंसक झड़प
भारत की अधिकतर जेलों में अमानवीय जिंदगी, गंदगी, बदतर खाने और कैदियों की हिंसक झड़पें होते रहती है. लेकिन पिछले कई सालों से कुछ राज्यों में जेलों की स्थिति बदली है. जहां कैदियों में सुधार कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस जोड़ने का काम किया जा रहा है. साल 2021 के एक रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश भी जेलों में सुधार को करने में बेहतर है.
साल 2021 के रिपोर्ट में राजस्थान अव्वल
साल 2021 के टाटा ट्रस्ट की 'इंडिया जस्टिस रिपोर्ट' के मुताबिक जेलों के मामले में राजस्थान, भारत के 18 बड़े और मध्यम राज्यों के बीच नंबर एक रहा था. साल 2021 में राजस्थान 12वें से सीधे पहले नंबर पर आ गया था. न्याय और मानवाधिकार के क्षेत्र में काम करने वाले भारत के 7 प्रमुख एनजीओ मिलकर इंडिया जस्टिस रिपोर्ट तैयार करते हैं. जिसमें कहा गया, 'बजट के बेहतर इस्तेमाल, ज्यादा अधिकारियों की भर्ती, जेलों पर कम हुआ कैदियों का बोझ और जेल में अधिक महिला स्टाफ की भर्ती राजस्थान की इस सफलता की वजहें हैं'.
गृह मंत्री अमित शाह ने जेल सुधार पर दिया जोर
जेल से निकलने के बाद लोगों की मुख्यधारा में वापसी आसानी नहीं होती. उनके साथ जुड़ा कलंक उन्हें समाज में आसानी से नहीं जुड़ने देता. हालांकि इस मसले पर रिसर्च करने वाले मयूरभंज लॉ कॉलेज, ओडिशा के प्रोफेसर डॉ बनमाली बारिक अपने रिसर्च पेपर में लिखते हैं, 'जेल से निकलने वाले हर कैदी को आफ्टर केयर और फॉलोअप की जरूरत नहीं होती. बड़ी संख्या में कैदी ग्रामीण, खेतिहर और व्यापारिक समुदायों से आते हैं, जिन्हें आसानी से फिर परिवार में स्वीकार कर लिया जाता है'.आपको बता दें कि साल 2021 में लखनऊ में आयोजित शीर्ष पुलिस अधिकारियों के एक सम्मलेन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जेल सुधार को समय की जरूरत बताते हुए इस दिशा में रणनीति बनाने पर जोर दिया था.
Next Story