तमिलनाडू

तमिलनाडु : कमजोर वर्ग के बच्चों की पढाई के लिए सरकार की ओर से संचालित शिक्षा का अधिकार बना मजाक

Shiddhant Shriwas
7 Jun 2022 10:06 AM GMT
तमिलनाडु : कमजोर वर्ग के बच्चों की पढाई के लिए सरकार की ओर से संचालित शिक्षा का अधिकार बना मजाक
x
सरकारें गरीब बच्चों की पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए लाख प्रयास करें लेकिन स्कूलों की मनमानी के आगे उसकी एक नहीं चलती

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों की पढाई के लिए सरकार की ओर से संचालित शिक्षा का अधिकार (आरटीई) मजाक बन कर रह गया है। सरकारें गरीब बच्चों की पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए लाख प्रयास करें लेकिन स्कूलों की मनमानी के आगे उसकी एक नहीं चलती। जिसका खामियाजा भुगतना पड़ता है बेबस अभिभावकों को।

स्कूलों की चल रही मनमानी
तमिलनाडु में स्टेट बॉर्ड के अलावा अन्य पाठ्यक्रम का पालन करने वाले अधिकांश निजी स्कूलों की आरटीई कानून के आगे अपनी मनमानी चल रही है। सीबीएसई और आइसीएसई स्कूलों में सामान्य जांच से पता चला कि उन्होंने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के छात्रों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित नहीं की हैं। हाल ही में कई सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों का दौरा करने पर पता चला कि आरटीई कानून के तहत कोई सीट आवंटित नहीं की गई है। स्कूल कोई न कोई बहाना बनाकर अभिभावकों को लौटा रहे हैं और अभिभावक अपनी शिकायत लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी के यहां पहुंच रहे हैं तो वहां से भी सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है।
अभिभावकों का दर्द
सीबीएसई या आईसीएसई स्कूल में अपने बच्चे का दाखिला कराने की इच्छा रखने वाली शमा परवीन ने कहा कि ऐसी कोई संस्था आरटीई वेब पोर्टल में सूचीबद्ध नहीं है। शिक्षा विभाग ने मुझे स्कूल से संपर्क कर आवेदन करने के लिए कहा। मैंने जिन स्कूलों से संपर्र्क किया, उन्होंने दावा किया कि वे अधिनियम के दायरे में नहीं आते हैं। एक अन्य अभिभावक मनोज कुमार का कहना है कि आधार कार्ड समेत अन्य जरूरी प्रपत्र लगे होने के बावजूद भी परेशान करने की नीयत से कमियां निकालकर प्रवेश के लिए टहला रहे हैं।
नि:शुल्क प्रवेश जरूरी
बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सभी प्राइवेट स्कूलों को 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को प्रवेश देना है, लेकिन शासन के ही एक अजीबोगरीब नियम के कारण अभिभावक भटक रहे हैं। कक्षा एक में आरटीई में गरीब परिवार, दिव्यांग, कैंसर पीडि़त माता या पिता के बच्चों का नि:शुल्क प्रवेश आरटीई लेने का नियम है। अभिभावक उसी वार्ड का रहने वाला हो, जिस वार्ड में दाखिले के लिए आनलाइन आवेदन किया है। लाटरी से प्रवेश मिलने पर आठवीं तक नि:शुल्क पढ़ाई बच्चे स्कूल में करते हैं।
सरकार सुने शिकायतें
फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष एम. अरुमुगम ने कहा कि आइटीई कानून के तहत छात्रों के लिए सरकार द्वारा दी गई न्यूनतम राशि अन्य छात्रों द्वारा प्रदान की गई फीस के बराबर नहीं होती है। सरकार को स्कूलों और अभिभावकों की शिकायतें सुननी चाहिए।
Next Story