तमिलनाडु सरकार ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में राजीव गांधी हत्यांकाड के दोषियों नलिनी श्रीहरन और आर पी रविचंद्रन की समय पूर्व रिहाई की वकालत की। इसके साथ उसने कहा कि दोषियों को सुनाई गयी उम्रकैद की सजा को माफ करने के लिए 2018 में दी गयी राज्य सरकार की सलाह को मानना राज्यपाल के लिए बाध्यकारी है।
तमिलनाडु सरकार ने दो अलग हलफनामों में शीर्ष अदालत में कहा कि 9 सितंबर, 2018 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में उसने राजीव गांधी हत्याकांड में सात दोषियों की सजा माफी की याचिकाओं पर विचार किया था और संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए उनकी उम्रकैद की सजा को माफ करने के लिए राज्यपाल से सिफारिश करने का फैसला किया। तमिलनाडु सरकार ने कहा, ''जिन सात दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गयी थी उनके संदर्भ में कथित सिफारिश को 11 सितंबर को तमिलनाडु के राज्यपाल की मंजूरी के लिए उन्हें अलग से भेजा गया था और यह तभी से उनके कार्यालय में लंबित है।''
नलिनी, संतन, मुरुगन, एजी पेरारिवालन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन को उम्रकैद की सजा सुनाई गयी थी और वे जेल में 23 वर्ष काट चुके हैं। राज्य सरकार ने कहा, ''शीर्ष अदालत के फैसलों के आलोक में यह भलीभांति तय कानून है कि किसी राज्य के राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत राज्य मंत्रिपरिषद की सलाह को मानने को बाध्य होते हैं।''