दिल्ली। शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री से एम्स मदुरै को लेकर पूरक प्रश्न किया गया था, जिस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के बयान से सदन में हंगामा हो गया और डीएमके और कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट कर दिया। दरअसल स्वास्थ्य मंत्री ने लोकसभा में दिए अपने जवाब में विपक्ष पर गलत सूचना देने और राजनीति करने का आरोप लगाया, जिससे डीएमके के सांसद बुरी तरह उखड़ गए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के समर्थन में भी कुछ भाजपा सांसद सीट पर खड़े हो गए और सदन में हंगामा हो गया।
दरअसल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एक पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए बताया कि एम्स मदुरै में मेडिकल कोर्स चलाए जा रहे हैं और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1900 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इसपर डीएमके सांसदों ने कहा कि एम्स मदुरै अभी तक तैयार नहीं है। इस पर स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने डीएमके नेताओं पर सदन में गलत जानकारी देने और लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। मांडविया ने कहा कि 'कुछ लोग हर चीज पर राजनीति करना चाहते हैं। मुझे पता है कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं क्योंकि हमने उन मेडिकल कॉलेज के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, जहां फैकल्टी नहीं है, बुनियादी ढांचा नहीं है और मरीज भी नहीं हैं। यह उसी की प्रतिक्रिया में किया गया है'।
मांडविया ने कहा कि इस तरह की अनियमितताएं मोदी सरकार में बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। हम ऐसे मेडिकल कॉलेजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना जारी रखेंगे। मांडविया के इस बयान के बाद डीएमके और कांग्रेस सांसदों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। जिस पर भाजपा के भी कुछ सांसद मांडविया के समर्थन में आ गए और अपनी सीट पर खड़े होकर ऊंची आवाज में बोलना शुरू कर दिया। डीएमके सांसद दयानिधि मारन काफी नाराज दिखे और उन्होंने कहा कि 'वह कौन हैं, जो इस तरह बात कर रहे हैं। हम हमें ब्लैकमेल कर रहे हैं, धमका रहे हैं'।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मामले को शांत करने की कोशिश की लेकिन डीएमके और कांग्रेस के नाराज सांसद सदन से वॉकआउट कर गए। इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री ने सदन में बताया कि मोदी सरकार ने देश में मेडिकल कॉलेज की संख्या बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। साल 2014 में देश में 387 मेडिकल कॉलेज थे जो आज बढ़कर 657 हो गए हैं। केंद्र सरकार ने मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए नियमों में राहत भी दी है। मांडविया ने कहा कि साल 2022 में ही 37 मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है और 89 की आवेदन प्रक्रिया की जांच हो रही है।
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